लखनऊ: डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में बुधवार को जहां एक गंभीर मरीज को रेफर तो कर दिया लेकिन परिजनों को एंबुलेंस देने से ही मना कर दिया। देर होने से मरीज की भी हालत बिगड़ती गयी। आनन परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। काफी देर बाद एंबुलेंस आयी लेकिन उसके आने से कुछ ही देर पहले ही मरीज की मौत हो चुकी थी।
वहीं अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल में आने से पहले ही मरीज की मौत की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया जबकि वहां मौजूद लोगों कहना था कि समय पर यदि मरीज को एंबुलेंस मिल जाता तो शायद उसकी जान बच जाती है। सुल्तानपुर जनपद के जगदीशपुर निवासी आयशा (40) काफी दिनों से हृदय रोग से ग्रसित थी। बुधवार को अचानक उसकी तबीयत खराब होने पर परिजन उसे लेकर जगदीशपुर अस्पताल गए, जहां के डॉक्टरों ने उसे सिविल अस्पताल रेफर कर दिया।
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यहां आने पर इमरजेंसी के चिकित्सकों ने मरीज की हालत गंभीर बताकर केजीएमयू के ट्रॉमा सेन्टर के लिए रेफर किया। शमीम ने आरोप लगाया कि पत्नी को जब सिविल अस्पताल में एंबुलेंस कि मांग की तो अस्पताल के कर्मचारियों ने ड्राइवर न होने की बात कहकर एंबुलेंस भेजने से ही इनकार कर दिया। शमीम ने कहा कि देर होने से पत्नी की हालत और गंभीर हो गई। ड्यूटी कर रहे चिकित्सकों पर भी बदतमीजी का आरोप लगाया।
अस्पताल के निदेशक डा. हिम्मत सिंह दानू ने बताया कि मरीज की अस्पताल में आने से पहले ही मौत हो चुकी थी। वहीं उन्होंने कहा कि यदि परिजनों की तरफ से कोई शिकायत मिलती है तो मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।