Saturday, April 19, 2025

Waqf Act: वक्फ बाय यूजर तो मंदिर बाय यूजर क्यों नहीं? वक्फ एक्ट पर सुनवाई के बाद नई बहस

वक्फ एक्ट 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वक्फ बाय यूजर शब्द को लेकर काफी बहस हुई। (Waqf Act Waqf By User) सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि 14वीं- 15वीं शताब्दी में बनी मस्जिदों के दस्तावेज कहां से आएंगे? मगर सुप्रीम कोर्ट की यह चिंता अब नई बहस को जन्म देती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन का कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि, ज्ञानवापी जैसे मामलों में इस तरह का तर्क नहीं चला। अगर वक्फ बाय यूजर है तो मंदिर बाय यूजर क्यों नहीं हो सकता?

वक्फ एक्ट की अर्जी SC में सीधे स्वीकार, कैसे?

वक्फ एक्ट 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन का कहना है कि वक्फ एक्ट की याचिका सीधे सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार कर ली गई। जबकि अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से लेकर काशी- मथुरा के मंदिरों तक के लिए ऐसा नहीं हुआ। इन सभी मामलों में जिले की अदालत में अर्जी दी गई, फिर प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा। फिर वक्फ एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका कैसे स्वीकार कर ली गई?

वक्फ एक्ट की याचिका हाईकोर्ट क्यों नहीं भेजी?

सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन का जब वक्फ बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। तब पूछा गया था कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए? आपको हाईकोर्ट में जाना चाहिए था। मगर वक्फ एक्ट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में सीधे स्वीकार कर लिया गया। उस पर सुनवाई भी शुरु हो गई और अंतरिम आदेश तक की बात चल पड़ी। इसी तरह पिछले 13 सालों से चार राज्यों के हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। मगर कुछ दिनों पहले यह कहा गया कि यह मामले हाईकोर्ट में होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों की सुनवाई क्यों करे?

वक्फ बाय यूजर तो मंदिर बाय यूजर क्यों नहीं?

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया के सामने एक और दलील पेश की। एडवोकेट जैन का कहना है कि वक्फ एक्ट को लेकर कहा जा रहा है कि 14वीं- 15वीं शताब्दी में बनी मस्जिदों के दस्तावेज कहां से आएंगे? जबकि अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि से लेकर ज्ञानवापी जैसे मामलों में ऐसा नहीं हुआ।

एडवोकेट विष्णु कुमार जैन ने अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और दिल्ली के एक शिव मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय सबूत देने पड़े, शिव मंदिर को लेकर अदालत ने कह दिया कि उनको प्रोटेक्शन की जरुरत नहीं। फिर वक्फ बाय यूजर को प्रोटेक्शन की जरुरत क्यों? उन्होनें यह भी सवाल उठाया कि वक्फ बाय यूजर जैसा प्रावधान बना, तो मंदिर बाय यूजर, गुरुद्वारा बाय यूजर जैसा प्रावधान क्यों नहीं हो सकता?

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