Thursday, May 8, 2025

Waqf Amendment Act: क्या हिंदू बोर्ड में मुसलमानों को इजाजत मिलेगी?… सुप्रीम कोर्ट ने पूछा केंद्र से सवाल

वक्फ अमेंडमेंट एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र से नए कानून के कई प्रावधानों, खासकर ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों के प्रावधानों पर कड़े सवाल पूछे। कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ काउसिल में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के प्रावधान पर भी सवाल उठाए और सरकार से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्डों का हिस्सा बनने की इजाजत देगी।

‘वक्फ इस्लाम का अभिन्न अंग’

कपिल सिब्बल ने फिर ‘वक्फ बाय यूजर’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एक प्रावधान है, जिसके तहत किसी प्रॉपर्टी को धार्मिक या चैरिटेबल उद्देश्य के लिए उसके लंबे वक्त तक इस्तेमाल के आधार पर वक्फ माना जाता है। भले ही उसका कोई औपचारिक दस्तावेज न हो। नए कानून में एक छूट जोड़ी गई है। यह उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगी जो विवादित हैं या सरकारी भूमि हैं। सिब्बल ने कहा कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ इस्लाम का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि अगर वक्फ 3,000 साल पहले बनाया गया था, तो वे उसका दस्तावेज मांगेंगे।’

कुछ प्रावधानों पर लगे रोक

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि देश में कुल 8 लाख संपत्तियों में से 4 लाख वक्फ संपत्तियां ‘वक्फ बाय यूजर’ हैं। इस बिंदु पर चीफ जस्टिस ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘हमें बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट वक्फ भूमि पर बना है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि उपयोगकर्ता द्वारा सभी वक्फ गलत हैं, लेकिन वास्तविक चिंता है।’

सिंघवी ने कहा कि वे पूरे कानून पर नहीं बल्कि कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद में विस्तृत और विस्तृत बहस के बाद कानून पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि एक ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ने इसकी जांच की और इसे फिर से दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया।

चीफ जस्टिस ने ये उल्लेख किया

इसके बाद चीफ जस्टिस ने मेहता से नए कानून में ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधानों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। CJI ने कहा, ‘क्या आप यह कह रहे हैं कि अगर ‘वक्फ बाय यूजर’ किसी (अदालती) फैसले या किसी और तरीके से स्थापित किया गया था, तो आज यह अमान्य है?’ चीफ जस्टिस ने उल्लेख किया कि वक्फ का हिस्सा बनने वाली कई मस्जिदें 13वीं, 14वीं और 15वीं सदी में बनी थीं और उनके लिए दस्तावेज पेश करना असंभव है।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘आप ऐसे ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को कैसे पंजीकृत करेंगे जो काफी वक्त से वहां हैं? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? इससे कुछ पूर्ववत हो जाएगा। हां, कुछ दुरुपयोग है लेकिन वास्तविक भी हैं। मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को पढ़ा है। ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को मान्यता दी गई है। यदि आप इसे पूर्ववत करते हैं, तो यह एक समस्या होगी।

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