Monday, April 7, 2025

क्या वक्फ कानून बनेगा बीजेपी का ब्रह्मास्त्र? अखिलेश-नीतीश की सियासी जमीन खिसकने का खतरा!

Waqf Amendment Bill Political Impact: वक्फ संशोधन विधेयक के संसद से पारित होने और कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टियां इस मुद्दे पर आमने-सामने नजर आ रही हैं।

जहां सपा ने वक्फ संशोधन कानून का जोरदार विरोध किया, वहीं जेडीयू ने इसका समर्थन कर राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है। (Waqf Amendment Bill Political Impact) हालांकि दोनों ही पार्टियां इस बिल के पारित होने के बाद से नुकसान झेल रही हैं। हाल के दिनों में दोनों पार्टियों से कई नेताओं के इस्तीफे और बगावत की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले सियासी समीकरणों को और जटिल बना दिया है।

वक्फ बिल समर्थन से मुस्लिम वोटबैंक में दरार

वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में समर्थन देने के बाद JDU में नाराजगी की लहर दौड़ गई है, खासकर मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं में। पार्टी के इस रुख से आहत होकर हाल के दिनों में कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है।  इसी क्रम में मोतिहारी में  15 मुस्लिम नेताओं ने एक साथ जेडीयू से इस्तीफा देकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताई है।

इससे पहले पूर्वी चंपारण के जेडीयू मेडिकल सेल के अध्यक्ष मोहम्मद कासिम अंसारी ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा, ‘पार्टी ने इस बिल का समर्थन कर मुसलमानों का भरोसा तोड़ा है। हमने नीतीश जी को धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक माना था, लेकिन अब यह भरोसा टूट गया है।  इसके अलावा, जमुई के मोहम्मद शाहनवाज मलिक, नदीम अख्तर, तबरेज सिद्दीकी और राजू नैय्यर ने भी पार्टी छोड़ दी।

अखिलेश का आक्रामक रुख या ध्रुवीकरण का खतरा?

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक का खुलकर विरोध करते हुए इसे मुसलमानों के अधिकारों पर हमला बताया है। लोकसभा में उन्होंने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। पार्टी इस मुद्दे को मुस्लिम समुदाय के बीच भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं को आशंका है कि इस रुख से बीजेपी को ध्रुवीकरण का मौका मिल सकता है, जिससे सपा के लिए राजनीतिक जोखिम भी बढ़ सकता है। इस बीच मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल (RLD) का दामन थाम लिया है। राजनीतिक विश्लेषकों  की माने तो अखिलेश की रणनीति यूपी के मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की है। सपा के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ‘यह बिल देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश है। हम इसका हर मंच पर विरोध करेंगे।

मुस्लिम समुदाय में नाराजगी…

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर BJP  की रणनीति साफ है। पार्टी इसे एक बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का हथियार मानता है। बीजेपी को उम्मीद है कि बिहार, यूपी और बंगाल जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा उसे हिंदू वोटों को एकजुट करने में मदद करेगा। लेकिन NDA के सहयोगी दलों, खासकर JDU, और टीडीपी, के लिए यह दोधारी तलवार साबित हो रहा है। जहां टीडीपी ने भी बिल का समर्थन किया, वहीं जेडीयू को अपने मुस्लिम वोट बैंक के खिसकने का डर सता रहा है।

बिहार चुनाव से पहले वक्फ बिल पर नीतीश कुमार की ‘धर्मनिरपेक्ष’ छवि को झटका लगा है। मुस्लिम समुदाय में नाराजगी साफ दिख रही है…हालिया इफ्तार पार्टी के बहिष्कार ने सियासी संदेश दे दिया है। इस मौके को भुनाने में राजद नेता तेजस्वी यादव जुट गए हैं। उन्होंने नीतीश को सोशल मीडिया पर ‘संघ प्रमाणित मुख्यमंत्री’ करार देते हुए मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कवायद शुरू कर दी है। वक्फ संशोधन विधेयक ने यूपी और बिहार की राजनीति को नई दिशा दे दी है। अखिलेश यादव इसे 2027 चुनाव तक बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं, जबकि बीजेपी इसे ध्रुवीकरण के हथियार में बदलने की कोशिश कर रही है। बिहार में नीतीश कुमार को मुस्लिम नाराजगी और पार्टी में बगावत का सामना करना पड़ रहा है। अब यह बिल महज कानून नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और समीकरणों का अखाड़ा बन चुका है।

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