Thursday, April 10, 2025

Waqf Amendment Bill 2025: सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की तैयारी, कांग्रेस और DMK खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

Waqf Bill: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी है। लोकसभा में 12 घंटे और राज्यसभा में 13 घंटे की लंबी बहस के बाद यह बिल आखिरकार पास हो गया है। लोकसभा में 288 सांसदों ने हां कहा, 232 ने ना, तो राज्यसभा में 128 ने समर्थन दिया और 95 ने बिल के खिलाफ़ में वोटिंग की। बीजेपी इसे पारदर्शिता और मुस्लिम हितों के लिए जरूरी बता रही है। वहीं विपक्ष इसे संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला करार दे रहा है। बता दें कि अब यह मामला संसद से निकलकर सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचने वाला है। कांग्रेस और DMK दोनों ने ऐलान किया है कि वे इसकी संवैधानिकता को चुनौती देंगे।

क्या है कांग्रेस का प्लान?

Waqf bill के पास होने के बाद कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। AICC महासचिव जयराम रमेश ने X पर लिखा कि कांग्रेस बहुत जल्द वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएगी। हमें भरोसा है कि हम मोदी सरकार के संविधान पर हर हमले का विरोध करेंगे।” कांग्रेस का दावा है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और 26 (धार्मिक मामलों में स्वशासन) का उल्लंघन करता है।

रमेश ने पार्टी के पिछले रिकॉर्ड भी गिनाए। उन्होंने कहा कि CAA 2019, RTI संशोधन 2005, चुनाव नियम संशोधन 2024, और पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लेकर कांग्रेस की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में चल रही हैं। वक्फ बिल को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है। पार्टी का मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के अधिकार छीनता है, बल्कि देश की धर्मनिरपेक्षता को भी ठेस पहुंचाता है।

स्टालिन की DMK ने पहले ही कर दिया था ऐलान

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एमके स्टालिन ने एक दिन पहले, गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा कर दी थी। विधेयक के लोकसभा से पास होने के विरोध में स्टालिन और उनकी पार्टी के विधायक काली पट्टी बांधकर विधानसभा पहुंचे। स्टालिन ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने आधी रात में सहयोगियों के दबाव में यह फैसला थोप दिया, जो संविधान पर हमला और धार्मिक सौहार्द्र के खिलाफ है। DMK सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर इसे रोकने के लिए लड़ेगी।

वहीं स्टालिन ने पहले भी पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर बिल वापस लेने की मांग की थी। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना और बोर्ड की ताकत छीनकर कलेक्टर को देना मुस्लिम स्वायत्तता के खिलाफ है। तमिलनाडु विधानसभा ने 27 मार्च को भी इस बिल के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था।

Waqf bill पर क्यों मचा है बबाल?

विपक्ष का आरोप है कि यह बिल वक्फ बोर्ड को कमजोर कर सरकार का नियंत्रण बढ़ाता है। गैर-मुस्लिमों को बोर्ड में शामिल करने, “वक्फ बाय यूजर” को खत्म करने, और संपत्ति तय करने का अधिकार कलेक्टर को देने जैसे प्रावधानों पर सवाल उठ रहे हैं। AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “यह मुस्लिम विरोधी है और संविधान के खिलाफ है।” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे “नकारात्मक रुख” वाला बताया। DMK सांसद ए राजा ने इसे “संघ परिवार का हथियार” करार दिया, जो मुस्लिमों को हाशिए पर धकेल रहा है।

क्या है सरकार का कहना?

सत्ता पक्ष का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाएगा और गरीब मुस्लिमों, खासकर महिलाओं, को फायदा पहुंचाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा, “गैर-मुस्लिम सिर्फ प्रशासन के लिए हैं, धार्मिक मामलों में दखल नहीं देंगे।” पीएम मोदी ने इसे “सामाजिक-आर्थिक न्याय और समावेशी विकास” का कदम बताया।

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