योगी सरकार ने शनिवार को हलाल सर्टिफिकेशन वाले खाद्य पदार्थों को बनाने, बेचने और भंडारण पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया। साथ ही कहा कि तेल, साबुन, टूथपेस्ट और शहद जैसे शाकाहारी प्रोडक्ट्स के लिए इसकी जरूरत नहीं है। यूपी सरकार के आदेश में कहा गया है, “उत्पादों का हलाल प्रमाणीकरण से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में भ्रम पैदा होता है। यह पूरी तरह से कानून मूल इरादे के खिलाफ है। हलाल प्रमाणीकरणयुक्त औषधि, चिकित्सा युक्ति व प्रसाधन सामग्रियों का विनिर्माण, भंडारण वितरण एवं क्रय-विक्रय उत्तर प्रदेश राज्य में करते हुए पाये जाने पर संबंधित व्यक्ति/फर्म के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, निर्यात के लिए विनिर्मित उत्पाद प्रतिबंध की सीमा में नहीं आएंगे।
बता दें कि बीते शुक्रवार को हलाल सर्टिफिकेशन देकर विभिन्न उत्पादों की बिक्री करने वाली ऐसी नौ कंपनियों के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई है। शैलेंद्र शर्मा नामक शख्स की शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। जिन कंपनियों पर एफआईआर दर्ज हुई है उनमें हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुंबई और जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली और कुछ अज्ञात कंपनियां शामिल हैं। इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
हलाल अरबी का शब्द है, जिसका मतलब होता है अनुमति। वह प्रोडक्ट जो इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करते हैं और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त हैं। उन्हें हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहा जाता है। हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था। हालांकि, इससे पहले हलाल सार्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हलाल मांस का मतलब वह मांस है, जिसे इस्लामी प्रक्रिया की मदद से हासिल किया जाता है।हालांकि, 1993 में हलाल प्रमाणीकरण सिर्फ मांस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे अन्य उत्पादों पर लागू किया गया।
हलाल में आखिर होता क्या है?
- जब जानवर को मारना होता है तो तेज धार वाली छुरी का इस्तेमाल गले के आगे चीरा लगाने के लिए किया जाता है। इसमें सही जगह ग्रासनली (इसोफेगस) और गले की नसें होती हैं। किसी दूसरे तरीके से बिल्कुल भी नहीं।
- जानवर के सिर वाले हिस्से को मक्का की दिशा में रखा जाता है और स्लॉटर के समय इस्लामिक प्रार्थना बोलनी होती है।
- स्लॉटर किसी मुस्लिम शख्स की ओर से ही किया जाना चाहिए।
गैर-मांस प्रोडक्ट को हलाल प्रमाणपत्र क्यों मिलते हैं?
अब हलाल सार्टिफिकेशन मांस तक ही सीमित नहीं है। कुछ कॉस्मेटिक आइटम्स में भी इसकी जरूरत होती है। इसके जरिए यह दर्शाया जाता कि इन प्रोडक्ट्स में कोई ‘हराम’ प्रोडक्ट्स का इस्तेमास नहीं किया गया है।
कौन देता है हलाल सर्टिफिकेशन?
प्रोडक्टों को आयात करने वाले देशों को भारत में किसी मान्यता प्राप्त प्राइवेट संगठन से हलाल प्रमाणपत्र लेना होता है।क्योंकि इस क्षेत्र में कोई सरकारी विनियमन नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में हलाल प्रमाणीकरण पर एक मसौदा दिशानिर्देश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कृषि और प्रोसेस फूड प्रोडक्ट्स को इसकी निगरानी नामित किया जाएगा। वैसे, भारत में इसके लिए कोई कानूनी प्राधिकरण नहीं है जबकि अरब देशों में मजिस्ट्रेट हलाल सर्टिफिकेट जारी करते हैं।
प्रोडक्टों को आयात करने वाले देशों को भारत में किसी मान्यता प्राप्त प्राइवेट संगठन से हलाल प्रमाणपत्र लेना होता है।क्योंकि इस क्षेत्र में कोई सरकारी विनियमन नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में हलाल प्रमाणीकरण पर एक मसौदा दिशानिर्देश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कृषि और प्रोसेस फूड प्रोडक्ट्स को इसकी निगरानी नामित किया जाएगा। वैसे, भारत में इसके लिए कोई कानूनी प्राधिकरण नहीं है जबकि अरब देशों में मजिस्ट्रेट हलाल सर्टिफिकेट जारी करते हैं।