भारत के उत्तराखंड में स्थित चारों धाम की यात्रा की शुरुआत 10 मई से होने वाली है. इसको एक प्रकार से जीवन की यात्रा माना जाता है. ये चारों धाम प्रकृति की गोद में स्थित हैं. चार धामों की यात्रा की शुरुआत 10 मई से होने वाली है. 10 मई को अक्षय तृतीया है.
मान्यता है कि इन चारों धामों की यात्रा मात्र से जीवन की नकारात्मकता दूर हो जाती है. इसके साथ ही जीवन में नई उमंग का संचार होता है. इस यात्रा में आपको कई सहज और असहज पड़ाव भी देखने को मिलेंगे.शास्त्रों में चारधाम यात्रा को भगवद् प्राप्ति के लिए आवश्यक माना गया है.
पुराणों में मिलता है उल्लेख
पद्म पुराण के अनुसार चार धामों की यात्रा करने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं. वहीं, स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार मोह,माया, रागादि जैसे सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाने के लिए मनुष्य को चारधाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए. उत्तराखंड के उत्तराकाशी में यह यात्रा यमुनोत्री धाम से शुरु होती है और यह गंगोत्री, केदारनाथा होते हुए बद्रीनाथ पर जाकर विराम लेती है.
यहां से मानी गई है शुरुआत
इस यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से मानी जाती है. यह जगह हरि और शिव का द्वार है. मां गंगा पहली बार पहाड़ों से निकलकर यहीं आती हैं. इसी कारण हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा जाता है. माना जाता है कि यमुनोत्री से जब यात्रा की शुरुआत होती है तो जीव में भक्ति का उदय हो जाता है. इस कारण सबसे पहले मां यमुना के दर्शन आवश्यक है. इसके बाद आपके अंतर्मन को मां गंगा का दर्शन शुद्ध करता है. तन और मन की शुद्धि के बाद आप केदारानाथ का दर्शन करते हैं. यहां आपके जीवन में वैराग्य आता है और अंत में बद्रीनाथ धाम मतलब हरि के चरणों में आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी कारण बद्रीनाथ धाम को भू-बैकुंठ कहा गया है.