आगरा का ताजमहल, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर है, अब और सुरक्षित होने जा रहा है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और यूपी पुलिस पहले से ही ताज की हिफाजत कर रहे हैं, लेकिन अब इसमें हाईटेक एंटी-ड्रोन सिस्टम की ताकत जुड़ने वाली है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और ड्रोन हमलों के बाद ताजमहल की सुरक्षा को और पुख्ता करने का फैसला लिया गया है। आइए, आपको बताते हैं कि ये एंटी-ड्रोन सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है, और भारत का D4 सिस्टम कितना पावरफुल है।
क्यों पड़ी एंटी-ड्रोन सिस्टम की जरूरत?
पिछले दिनों कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह किया गया। इसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में मिसाइलों, आर्टिलरी फायरिंग और ड्रोन हमले किए। भारतीय सेना ने इन सभी हवाई खतरों को नाकाम कर दिया, लेकिन इस घटना ने देश के अहम ठिकानों पर ड्रोन हमलों से निपटने की जरूरत को और साफ कर दिया। इसी कड़ी में अब ताजमहल को भी एंटी-ड्रोन सिस्टम से लैस किया जा रहा है।
ताजमहल में कैसे काम करेगा ये सिस्टम?
ताजमहल की सुरक्षा के लिए तैनात ACP सैयद अरिब अहमद ने बताया कि ताजमहल परिसर में जल्द ही एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाया जाएगा। इसकी रेंज 7-8 किलोमीटर तक होगी, लेकिन शुरुआत में ये ताज के मुख्य गुंबद से 200 मीटर के दायरे में सबसे ज्यादा असरदार होगा। जैसे ही कोई अनजान ड्रोन इस दायरे में घुसेगा, ये सिस्टम अपने आप उसके सिग्नल को जाम कर देगा, जिससे ड्रोन बेकार हो जाएगा।
एंटी-ड्रोन सिस्टम होता क्या है?
एंटी-ड्रोन सिस्टम एक ऐसी हाईटेक तकनीक है, जो ड्रोन जैसे मानवरहित हवाई खतरों को पकड़ने, ट्रैक करने और निष्क्रिय करने का काम करती है। ये सिस्टम रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी, ऑप्टिकल सेंसर और माइक्रोफोन जैसे उपकरणों से लैस होता है। जैसे ही हवा में कोई संदिग्ध ड्रोन दिखता है, ये सिस्टम उसे डिटेक्ट करता है और ऑपरेटर को अलर्ट भेजता है। फिर ऑपरेटर तय करता है कि ड्रोन को ‘सॉफ्ट किल’ से निष्क्रिय करना है या ‘हार्ड किल’ से हवा में ही खत्म करना है। सॉफ्ट किल में ड्रोन के सिग्नल जाम कर उसे जमीन पर उतार लिया जाता है, जबकि हार्ड किल में लेजर या दूसरी तकनीक से ड्रोन को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाता है।
दुनिया के सबसे ताकतवर एंटी-ड्रोन सिस्टम
-
अमेरिका का THOR: अमेरिकी वायुसेना की रिसर्च लैब ने टैक्टिकल हाई पावर ऑपरेशनल रिस्पॉन्डर (THOR) बनाया है। ये हाई-पावर माइक्रोवेव बीम से एक साथ कई ड्रोन्स को नष्ट कर सकता है। इसकी बीम ड्रोन के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को जला देती है, जिससे वो बेकार हो जाता है।
-
इजराइल का ड्रोन डोम: इजराइल की राफेल कंपनी का ये सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमिंग और लेजर तकनीक का इस्तेमाल करता है। ये पहले ड्रोन की पहचान करता है, फिर उसके सिग्नल को जाम करता है। जरूरत पड़ने पर लेजर से ड्रोन को हवा में ही उड़ा देता है।
भारत का D4 सिस्टम: देसी ताकत, ग्लोबल रुतबा
भारत ने भी अपना स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम बना लिया है, जिसे ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय (D4) सिस्टम कहते हैं। इसे DRDO ने करीब तीन साल की मेहनत से तैयार किया है। ये सिस्टम 3 किलोमीटर के दायरे में 360 डिग्री कवरेज देता है। ये सॉफ्ट किल के जरिए ड्रोन के जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को खराब कर उसे जमीन पर उतार सकता है। वहीं, हार्ड किल में लेजर बीम से ड्रोन को हवा में ही खत्म कर देता है। D4 ने हाल के भारत-पाक तनाव में तुर्की के ड्रोन्स को नाकाम कर अपनी ताकत दिखाई है।