गाड़ी की IDV वैल्यू कैसे तय होती है? समझें ये गणित, नहीं होगा बीमा में नुकसान!

अगर आपने कभी कार बीमा कराया है, तो आपने IDV (Insured Declared Value) का नाम जरूर सुना होगा। यह वह वैल्यू है जो आपकी गाड़ी का वर्तमान बाजार मूल्य बताती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह वैल्यू कैसे तय होती है? अगर नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि IDV को समझे बिना बीमा कराने पर आपको नुकसान हो सकता है। चलिए, आज हम आपको बताते हैं कि IDV क्या है, इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है और कैसे आप इसकी मदद से बीमा में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

क्या होती है IDV?
IDV का मतलब है इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू। हिंदी में इसे बीमित घोषित मूल्य कहा जाता है। यह वह राशि है जो बीमा कंपनी आपकी गाड़ी के चोरी होने या पूरी तरह से खराब हो जाने की स्थिति में आपको देती है। यह राशि आपकी गाड़ी के वर्तमान बाजार मूल्य पर आधारित होती है। IDV जितनी ज्यादा होगी, आपको उतना ही ज्यादा क्लेम मिलेगा।

क्यों जरूरी है IDV?
IDV इसलिए जरूरी है क्योंकि यह आपकी गाड़ी का वर्तमान मूल्य बताती है। जब आप बीमा क्लेम करते हैं, तो बीमा कंपनी IDV के आधार पर ही आपको राशि देती है। अगर IDV कम है, तो आपको कम राशि मिलेगी। इसलिए, यह जरूरी है कि आपकी गाड़ी की IDV सही तरीके से कैलकुलेट की जाए।

कैसे कैलकुलेट होती है IDV?
IDV कैलकुलेट करने का फॉर्मूला काफी सिंपल है। इसे नीचे दिए गए स्टेप्स से समझ सकते हैं:

  1. गाड़ी का एक्स-शोरूम प्राइस:
    सबसे पहले गाड़ी का एक्स-शोरूम प्राइस लिया जाता है। यह वह कीमत है जो आपने गाड़ी खरीदते समय दी थी।
  2. डेप्रिसिएशन (मूल्यह्रास):
    गाड़ी की उम्र के हिसाब से उसकी वैल्यू कम होती जाती है। इसे डेप्रिसिएशन कहते हैं। हर साल गाड़ी की वैल्यू में कमी आती है।
  3. IDV फॉर्मूला:
    IDV = (गाड़ी का एक्स-शोरूम प्राइस) – (डेप्रिसिएशन)उदाहरण के लिए, अगर आपकी गाड़ी का एक्स-शोरूम प्राइस ₹10 लाख है और डेप्रिसिएशन 10% है, तो IDV होगी:
    ₹10 लाख – (10% of ₹10 लाख) = ₹9 लाख

डेप्रिसिएशन कैसे कैलकुलेट होता है?
डेप्रिसिएशन गाड़ी की उम्र और उसके इस्तेमाल पर निर्भर करता है। आमतौर पर, डेप्रिसिएशन की दर इस प्रकार होती है:

  • पहले साल: 5%
  • दूसरे साल: 10%
  • तीसरे साल: 15%
  • चौथे साल: 20%
  • पांचवें साल: 30%
  • छठे साल: 40%

कैसे बढ़ा सकते हैं IDV?
अगर आप चाहते हैं कि आपकी गाड़ी की IDV ज्यादा हो, तो नीचे दिए गए टिप्स फॉलो कर सकते हैं:

  1. सही बीमा कंपनी चुनें:
    कुछ बीमा कंपनियां IDV को कम करके प्रीमियम कम करती हैं। ऐसे में आपको ऐसी कंपनी चुननी चाहिए जो IDV को सही तरीके से कैलकुलेट करे।
  2. प्रीमियम पर ध्यान दें:
    कई बार लोग सस्ते प्रीमियम के चक्कर में IDV कम करवा लेते हैं। ऐसा न करें। थोड़ा ज्यादा प्रीमियम देना बेहतर है, क्योंकि इससे IDV ज्यादा होगी और क्लेम में ज्यादा राशि मिलेगी।
  3. गाड़ी की देखभाल:
    अगर आप अपनी गाड़ी की अच्छी देखभाल करते हैं, तो इसकी वैल्यू ज्यादा बनी रहती है। इससे IDV भी ज्यादा हो सकती है।

IDV का क्लेम से क्या कनेक्शन है?
जब आपकी गाड़ी चोरी हो जाती है या एक्सीडेंट में पूरी तरह से खराब हो जाती है, तो बीमा कंपनी IDV के आधार पर ही क्लेम देती है। अगर IDV कम है, तो आपको कम राशि मिलेगी। इसलिए, IDV को सही तरीके से सेट करवाना बहुत जरूरी है।

क्या IDV बदल सकती है?
हां, IDV बदल सकती है। हर साल गाड़ी की उम्र बढ़ने के साथ उसकी वैल्यू कम होती जाती है। इसलिए, हर साल IDV में कमी आती है। लेकिन आप चाहें तो बीमा कंपनी से बात करके IDV को थोड़ा बढ़वा सकते हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles