क्या है डिजिटल अरेस्ट? जिसका इस्तेमाल कर जालसाज़ लोगों को बना रहे अपना ‘शिकार’

साइबर अपराध से जुड़ी घटनाएं तेजी से बढ़ रही है, ठग लोगों को ठगने के लिए हर बार कुछ नया लेकर आ रहे हैं. कई बार इन ठगों के जाल में पढ़े-लिखे लोग भी फंस जाते हैं।  कुछ दिन पहले ही नोएडा सेक्टर 34 में सामने आया है। यहां रहने वाली एक महिला इंजीनियर को साइबर अपराधियों ने करीब आठ घंटे तक डिजिटल बंधक बनाकर 11 लाख रुपये ठग लिए। पीड़िता ने साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज करवाया हैं। जिसके बाद पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि यह मामला डिजिटल अरेस्टिंग का है। अब सबसे बड़ा सवाल है ये डिजिटल अरेस्ट क्या होता है? आज हम आपको इससे जुडी सभी जानकारी देने वाले हैं।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट? 

डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये व्यक्ति पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है यानी वीडियो कॉल के जरिये व्यक्ति को जहां वह है वहीं कैद कर दिया जाता है। इस दौरान पीड़ित न तो किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है। व्यक्ति को उनके मोबाइल फोन पर लगातार जुड़े रहने को मजबूर किया जाता है। ऐप पर लगातार चैटिंग, ऑडियो-वीडियो कॉल कर उसे ऐप से लॉग आउट नहीं होने दिया जाता है। डिजिटल अरेस्ट के वक्त पीड़ित व्यक्ति को किसी से बात करने और न ही कहीं जाने की परमिशन होती है और ये सिलसिला उस वक्त तक चलता है जब तक पीड़ित व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति को पैसे देने के लिए मजबूर नहीं हो जाता।

साइबर क्राइम जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले जालसाज़ खुद को CBI, क्राइम ब्रांच और ईडी अधिकारी बताकर पीड़ित व्यक्ति को जांच के बहाने ऐप डाउनलोड कराते हैं। इसके बाद पुलिस जिस अंदाज में पूछताछ करती है, ठीक उसी तरह से पीड़ित व्यक्ति से पूछताछ होती है।

ठग लोगों को जाल में फंसाने के लिए जालसाज़ मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग्स जैसे मामले में शामिल होने की बात कहते हैं, केवल इतना ही नहीं कई झूठों आरोप में फंसाने की बात कही जाती है।  जालसाज़ लोगों के इसी डर का फायदा उठाकर लाखों रुपये ठगने में कामयाब हो जाते हैं, क्योंकि पीड़ित व्यक्ति जालसाज़ी करने वाली की बातों में फंसकर पैसे देने के लिए राज़ी हो जाते हैं।

ऐसे हालात में क्या करें?

अगर आपको भी साइबर क्राइम से जुड़े हेल्पलाइन का नंबर नहीं पता तो अभी अपने फोन में 1930 नंबर को सेव कर लीजिए। ये नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर है जिसपर कॉल कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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