क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा, किन राज्यों को अबतक दिया गया और क्या हैं इसके फायदे?

नई दिल्ली। पूरे देश में हाल ही में संपन्न 18वें लोकसभा चुनाव में एनडीए ने एक बार फिर 292 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया है। विपक्षी गठबंधन, I.N.D.I ने 240 सीटें हासिल कीं। पिछले चुनाव के विपरीत, जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था, इस बार भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से सरकार बनाएगी। इस जीत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी का अहम योगदान रहा। इस राजनीतिक परिदृश्य के बीच, अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन दोनों राज्यों को विशेष दर्जा दिया जा सकता है।

विशेष दर्जा क्या है और इसके लाभ क्या हैं?

किसी राज्य को विशेष दर्जा मिलने से कई लाभ मिलते हैं। इससे राज्य को केंद्र सरकार से महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ और अनुदान प्राप्त करने की अनुमति मिलती है। इन राज्यों को केंद्र सरकार के वित्तपोषण में तरजीही व्यवहार मिलता है और वे वित्तीय सहायता पर अधिक रियायतें प्राप्त कर सकते हैं। केंद्र सरकार के बजट का लगभग 30% इन राज्यों को आवंटित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, किसी भी अप्रयुक्त निधि को अगले वित्तीय वर्ष में आगे ले जाया जाता है, अन्य राज्यों के विपरीत जहां अप्रयुक्त निधि वित्तीय वर्ष के अंत में समाप्त हो जाती है।

विशेष दर्जा देने के मानदंड

राज्यों को विशेष दर्जा देने की अवधारणा 1969 में महावीर त्यागी की अध्यक्षता वाले पांचवें वित्त आयोग द्वारा गाडगिल सूत्र के आधार पर पेश की गई थी। इस सूत्र में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक कारकों पर विचार किया गया था। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) ने मानदंड स्थापित किए, जिसमें राज्य की प्रति व्यक्ति आय, आय का स्रोत, भौगोलिक स्थिति (पहाड़ी, दूरस्थ या अन्यथा) और जनसंख्या घनत्व शामिल थे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत राज्यों के लिए विशेष प्रावधान निहित हैं, जो कुछ राज्यों को उनके विकास में सहायता करने और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए लाभ का आनंद लेने की अनुमति देते हैं।

वर्तमान में विशेष दर्जा प्राप्त राज्य

वर्तमान में, भारत में 11 राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया है। इनमें पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम शामिल हैं। हिमालयी राज्य उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को भी यह दर्जा प्राप्त है। इस प्रथा की शुरुआत असम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर से हुई, जो गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर यह दर्जा पाने वाले पहले राज्य थे। इस कदम का उद्देश्य इन राज्यों की अनूठी चुनौतियों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना था।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles