नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव के रुझानों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) का हाल बहुत खराब दिखाई दे रहा है। पार्टी ने बिना किसी गठबंधन के सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और इस बार हरियाणा में अच्छी परफॉर्मेंस की उम्मीदें लगाई थीं। लेकिन अभी तक के रुझानों में पार्टी का कोई भी प्रत्याशी अपनी सीट पर आगे नहीं चल रहा है।
चुनावी हालात
चुनाव के शुरूआती रुझान बताते हैं कि हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य टक्कर चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी का नामो-निशान कहीं नहीं दिख रहा। पहले से ही एग्जिट पोल ने आप के लिए संभावनाओं को न्यूनतम बताते हुए स्थिति को स्पष्ट किया था कि पार्टी को कोई खास सफलता नहीं मिलने वाली है।
सुशील गुप्ता का बयान
आम आदमी पार्टी के हरियाणा अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा कि ये अभी केवल शुरुआती रुझान हैं और इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने स्थिति को स्पष्ट करने के लिए थोड़े समय की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दोनों दल मिलकर 70 से अधिक सीटें हासिल कर सकते थे।
गठबंधन की संभावनाएं
आप और कांग्रेस के बीच पहले गठबंधन की कोशिशें हुई थीं, लेकिन सीटों पर सहमति न बनने के कारण पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। अब यह स्पष्ट है कि अगर दोनों दलों का गठबंधन होता, तो हरियाणा की राजनीति का समीकरण कुछ और होता।
केजरीवाल की राजनीति पर असर
हरियाणा चुनाव के नतीजे अरविंद केजरीवाल की राजनीति पर सीधे प्रभाव डाल सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव जल्द ही होने हैं, और हरियाणा दिल्ली के निकट है। केजरीवाल खुद मूल रूप से हरियाणा से आते हैं। हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्होंने दिल्ली की सीएम की कुर्सी छोड़ी थी। ऐसे में हरियाणा के चुनावी रुझान उनके लिए एक बड़ा झटका बन सकते हैं, खासकर जब वे दिल्ली में दोबारा सत्ता में वापसी का सपना देख रहे हैं।
अगर हरियाणा में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन ऐसा ही रहा, तो यह पार्टी के लिए भविष्य में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। पार्टी को अपने नीतियों और रणनीतियों पर फिर से विचार करना होगा ताकि वह अगले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सके।
कुल मिलाकर, हरियाणा में आम आदमी पार्टी का हाल बेहतरीन नहीं है, और अरविंद केजरीवाल के लिए यह स्थिति राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने का संकेत दे रही है।