भारत में लाखों लोग आयकर के विवादों में फंसे हुए हैं, और इन विवादों के कारण न सिर्फ उन्हें मानसिक तनाव होता है, बल्कि उनके लिए कई तरह के आर्थिक और कानूनी परेशानियां भी खड़ी हो जाती हैं। इस तरह के मामलों से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने एक खास योजना बनाई है, जिसे “विवाद से विश्वास योजना” कहा जाता है। इस योजना का मकसद आयकर विवादों को सुलझाना और करदाताओं को राहत देना है। हाल ही में, आयकर विभाग ने इस योजना की डेडलाइन बढ़ाकर 31 जनवरी 2025 कर दी है, जिससे अब और लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।
विवाद से विश्वास योजना क्या है?
विवाद से विश्वास योजना, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, उन लोगों के लिए है जो आयकर के विवादों में फंसे हुए हैं। इस योजना के तहत, करदाताओं को अपने विवादित टैक्स का एक हिस्सा और उस पर निर्धारित स्पेशल प्रतिशत चुकाना होता है। इसके बाद, सरकार बाकी का हिस्सा माफ कर देती है, यानी ब्याज, जुर्माना और अन्य शुल्क को छोड़ देती है। इस योजना का उद्देश्य है, उन टैक्सपेयर्स को राहत देना जो लंबित विवादों में फंसे हुए हैं और उन्हें वित्तीय बोझ से मुक्त करना है।
क्यों बढ़ाई गई डेडलाइन?
आयकर विभाग ने इस योजना की समय सीमा बढ़ा दी है। पहले यह 31 दिसंबर 2024 तक थी, लेकिन अब इसे 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब है कि अब करदाता एक और महीने तक इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी, जो समय पर आवेदन नहीं कर सके थे या जिन्होंने इस योजना का लाभ उठाने के बारे में सोचा था, लेकिन किसी कारणवश आवेदन नहीं कर पाए। अब वे लोग और ज्यादा समय तक योजना का फायदा उठा सकेंगे।
विवाद से विश्वास योजना का लाभ कैसे उठाएं?
इस योजना का फायदा उठाने के लिए, करदाता को कुछ खास कदम उठाने होते हैं। सबसे पहले, उन्हें Form 1 भरना होता है, जिसमें वह यह घोषित करते हैं कि वे अपने विवाद को इस योजना के तहत हल करना चाहते हैं। Form 1 भरने के बाद, उन्हें Form 2 मिलेगा, जिसमें आयकर विभाग द्वारा यह पुष्टि की जाएगी कि समझौता स्वीकार कर लिया गया है। इसके बाद, करदाता को Form 2 मिलने के 15 दिन के भीतर विवादित टैक्स का भुगतान करना होता है।
अगर करदाता 31 जनवरी 2025 तक आवेदन करते हैं, तो वे विवादित टैक्स का 100% भुगतान करने के बाद, जुर्माना, ब्याज और अन्य शुल्क का सिर्फ 25% चुकाएंगे। यह उनकी ओर से बड़ा फायदा हो सकता है, क्योंकि बहुत से करदाता के लिए जुर्माना और ब्याज का भुगतान बहुत भारी पड़ सकता है।
अगर डेडलाइन के बाद आवेदन किया तो क्या होगा?
अगर करदाता 1 फरवरी 2025 के बाद आवेदन करते हैं, तो उन्हें विवादित टैक्स का 110% भुगतान करना होगा, और जुर्माना, ब्याज और शुल्क का 30% चुकाना होगा। यह उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो 31 जनवरी के बाद योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, क्योंकि वे ज्यादा टैक्स और शुल्क का भुगतान करेंगे। पुराने आवेदनकर्ताओं के लिए भी यही नियम लागू होंगे, यानी 31 जनवरी तक आवेदन करने पर वे टैक्स का 110% और शुल्क का 30% ही चुकाएंगे, लेकिन इसके बाद यह 120% और 35% हो जाएगा।
क्या है टैक्सपेयर्स को मिलने वाला मुनाफा?
यह योजना टैक्सपेयर्स को बहुत बड़ा मुनाफा दे रही है, खासकर उन लोगों को जो लंबे समय से आयकर के विवादों में फंसे हुए थे। आमतौर पर, यदि कोई व्यक्ति अपने विवाद को सुलझाना चाहता है, तो उसे भारी जुर्माना, ब्याज और शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जो उसकी जेब पर बड़ा बोझ डालता है। लेकिन इस योजना के तहत, सरकार इन अतिरिक्त शुल्कों को माफ कर देती है, जिससे करदाता को भारी राहत मिलती है। 31 जनवरी 2025 तक आवेदन करने पर, करदाता सिर्फ विवादित टैक्स का 100% और अन्य शुल्क का 25% चुकाते हैं, जिससे उनका वित्तीय बोझ काफी हल्का हो जाता है।
क्या करना होगा करदाता को?
- Form 1 भरना: पहले करदाता को Form 1 भरना होगा, जिसमें वह यह घोषित करेगा कि वह इस योजना के तहत विवाद सुलझाना चाहता है।
- Form 2 का इंतजार: Form 1 भरने के बाद, करदाता को Form 2 मिलेगा, जिसमें आयकर विभाग द्वारा समझौते की पुष्टि की जाएगी।
- पैमेंट करना: Form 2 मिलने के 15 दिन के भीतर, करदाता को विवादित टैक्स का भुगतान करना होगा।
अगर करदाता 31 जनवरी 2025 तक आवेदन करता है, तो वह टैक्स का 100% और जुर्माना-ब्याज का सिर्फ 25% ही चुकाएगा। अगर वह 1 फरवरी 2025 के बाद आवेदन करता है, तो टैक्स का 110% और शुल्क का 30% चुकाना होगा।
अंतिम तारीख: 31 जनवरी 2025
विवाद से विश्वास योजना का लाभ उठाने के लिए अंतिम तारीख 31 जनवरी 2025 है। इसके बाद आवेदन करने पर करदाताओं को ज्यादा टैक्स और शुल्क का भुगतान करना होगा। इस योजना से जुड़ी सभी जानकारी को ध्यान से पढ़ें और सुनिश्चित करें कि आप समय पर आवेदन करें ताकि आपको ज्यादा टैक्स और शुल्क का बोझ न उठाना पड़े।