भारत में किस जाति की आबादी कितनी है इसको लेकर जातीय जनगणना की मांग काफी पहले से उठती रही है. अब इस दिशा में बड़ा कदम ये है कि जातिगत जनगणना को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत दस दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमनंडल ने पीएम मोदी से मुलाकात की. अब सभी दलों को पीएम मोदी के फैसले का इंतजार है.
देश में जनगणना की शुरुआत साल 1881 में शुरू हुई थी. हर 10 साल पर जनगणना होती है. आखिरी बार जाति आधारित जनगणना साल 1931 में हुई थी. 1941 से अब तक एससी, एसटी की जनगणना होती है. बाकी जातियों की अलग से जनगणना नहीं होती है. अभी तक जनगणना में सिर्फ धर्म के आंकड़े प्रकाशित होते हैं. इसी वजह से देश में कई साल से जातीय जनगणना की मांग हो रही है.
देश की आबादी – धर्म के अनुसार
धर्म | आबादी | प्रतिशत |
देश | 121 करोड़ | 100 |
हिन्दू | 96.62 करोड़ | 79.79 |
मुस्लिम | 17.22 करोड़ | 14.22 |
ईसाई | 2.78 करोड़ | 2.29 |
सिख | 2.08 करोड़ | 1.72 |
बौद्ध | 84.42 लाख | 0.69 |
जैन | 44.51 लाख | 0.36 |
जातीय जनगणना की मांग करने वाली पार्टियां
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- जनता दल यूनाईटेड
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- राष्ट्रीय जनता दल
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- हम – जीतन राम मांझी
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- समाजवादी पार्टी
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- बहुजन समाज पार्टी
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- अपना दल
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- आरपीआई (ए) राम दास अठावले
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- बीजेपी नेता पंकजा मुंडे
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- बीजू जनता दल
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- तेलगू देशम पार्टी
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- वाईएसआर कांग्रेस पार्टी
जातीय जनगणना – पक्ष-विपक्ष में तर्क
पक्ष में तर्क
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- विकास कार्यक्रम बनाने के लिए जरूरी
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- सरकारी नीतियां और योजनाएं बनाने में सहायक
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- पता चलेगा कौन सी जाति पिछड़ेपन का शिकार है
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- आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की वास्तविक जानकारी मिलेगी
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- एससी, एसटी को होती है तो बाकियों की क्या नहीं
विपक्ष में तर्क
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- सर्वे के आधार योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है
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- देश का सामाजिक ताना-बाना बिगड़ सकता है
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- परिवार नियोजन के प्रयासों पर विपरीत असर
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- देश की जनसंख्या और बढ़ सकती है
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- एससी-एसटी को सदन और विधानसभाओं में आरक्षण के लिए जरुरी