विश्वजीत भट्टाचार्य– इमरजेंसी के दौरान बड़ौदा डायनामाइट कांड के आरोपी रहे. मंगलौर (अब मंगलुरु) में पैदा और मुजफ्फरपुर से सांसद रहे. 9 बार संसद पहुंचे और देश का रक्षा मंत्रालय संभाला. ताबूत घोटाले का आरोप लगा और पार्टी की महिला साथी जया जेटली की वजह से विवाद में भी घिरे. जॉर्ज फर्नांडिस के बारे में इतना तो सभी जानते हैं, लेकिन सत्ता प्रतिष्ठान से उनका विरोध बहु आयामी और बहुरंगी रहा है.
जब जॉर्ज ने उखड़वाया गेट
जॉर्ज सांसद बने थे. दिल्ली में पीएम इंदिरा गांधी के सरकारी आवास के सामने उन्हें घर मिला था. तमाम लोग रोज मिलने आते थे. ऐसे में जॉर्ज के आवास पर भीतर से बाहर तक भीड़ रहती. लोग बाहर भी खड़े हो जाते. इंदिरा के सुरक्षाकर्मी ऐसे लोगों को परेशान करते थे. कई बार जॉर्ज से आवास का गेट बंद रखने के लिए भी कह चुके थे. जॉर्ज एक दिन भड़क गए. मजदूर बुलाए और अपने सरकारी आवास का गेट ही उखड़वाकर फिंकवा दिया. इंदिरा को खुद फोन करके पूरी बात बताई. फिर कभी पीएम के सुरक्षाकर्मियों ने जॉर्ज से मिलने आए किसी शख्स को परेशान नहीं किया.
हथकड़ी में फोटो से छाए जॉर्ज
बड़ौदा डायनामाइट कांड में जॉर्ज साहब (इसी नाम से उन्हें लोग बुलाते थे) की गिरफ्तारी हुई. हथकड़ी पहनाकर बॉम्बे (अब मुंबई) की अदालत में पेश किया गया. वहां जॉर्ज ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर इमरजेंसी और इंदिरा के खिलाफ नारे लगाए. इसकी तस्वीरें सभी अखबारों में छपीं और देश के जनमानस के दिलों पर वह छा गए.
कराई सबसे बड़ी रेल हड़ताल
उन्हें पूरे देश ने 1970 के दशक में उस वक्त जाना, जब उन्होंने रेल कर्मचारियों की ऐतिहासिक हड़ताल का नेतृत्व किया. वह ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष थे और उनके आह्वान पर 1974 में रेलवे के 15 लाख कर्मचारी हड़ताल पर चले गए.
88 साल की उम्र में जॉर्ज फर्नांडिस इस फानी दुनिया से रुखसत तो हो गए हैं, लेकिन समाजवाद जब तक जिंदा रहेगा, वह हर एक की याद में जिंदा रहेंगे. अलविदा जॉर्ज साहब