मंदसौर किसानों की शहादत को न्याय कब मिलेगा?

मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर आज से ठीक एक साल पहले हुई पुलिस गोलीबारी में जान गंवाने वाले छह किसानों के परिजनों को भले ही नौकरी मिल गई हो, मुआवजा मिल गया हो, मगर न्याय नहीं मिला है। जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है।

इतना ही नहीं पुलिस की गोली से मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा भी नहीं मिला, वहीं आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई और अब प्रशासन इन प्रभावित परिवारों को पहली बरसी मनाने तक से रोक रहा है।

बीते साल आज की ही तारीख यानी छह जून को किसान अपनी जायज मांगों को पूरा करने के लिए सड़कों पर उतरे थे। पिपलियामंडी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस जवानों ने गोलियां बरसा दी। इस गोलीकांड में छह किसानों की मौत हुई और बाद में एक किसान को पुलिस ने इतना पीटा कि वह काल के गाल में समा गया।

इस गोलीकांड की आज बरसी है। पीड़ित परिवारों का दर्द उभर कर सामने आ रहा है। पुलिस की प्रताड़ना का शिकार हुए अभिषेक पाटीदार के पिता दिनेश पाटीदार प्रशासन के रवैये से क्षुब्ध हैं। उन्होंने कहा, “आज किसानों की शहादत को याद किया जा रहा है, उनके बेटे ने भी शहादत दी थी, राहुल गांधी की सभा में उन्हें बुलाया गया है, मगर प्रशासन के अधिकारी उनसे इस सभा में न जाने को कह रहे है। साथ ही कहा जा रहा है कि सभा में गए तो बेटे को जो नौकरी मिली है, उससे हाथ धोना पड़ेगा।”

मंदसौर के पिपलिया मंडी का चौराहा, गलियां और यहां की फिजाएं बस एक ही सवाल कर रही हैं कि उनकी धरती पर जन्में किसानों पर गोलियां बरसाने वाले दरिंदों को आखिर कब सजा मिलेगी। जब तक इन दरिंदों को सजा नहीं मिल जाती तब तक उनकी आत्मा को न्याय नहीं मिलेगा।

किसान नेता डॉ. सुनीलम ने कहा, “सरकारें कोई भी रही हों किसानों पर हमेशा दमन हुआ है। दो दशक पहले मुलताई में किसानों पर दिग्विजय काल में गोली बरसाई गई, फिर बीते साल शिवराज काल में किसान गोली का निशाना बने। जांच आयोग बने, मगर सजा किसी को नहीं हुई। किसानों पर अत्याचार करने वाले उलटे पुरस्कृत किए गए। यह सरकारों का किसान विरोधी चेहरा है। मंदसौर गोलीकांड में जान गंवाने वाले किसानों को अब भी न्याय का इंतजार है।”

कांग्रेस नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शहीद किसानों को श्रद्घांजलि अर्पित करते हुए कहा, “आज मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी है। मैं नमन करता हूं उन निर्दोष अन्नदाता साथियों को जो इस दमनकारी सरकार की गोलियों से शहीद हुए थे। मैं और मेरी पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता किसानों की लड़ाई तब तक लड़ेंगे जब तक उन्हें इंसाफ और दोषियों को सजा नही मिलती। यही मेरा संकल्प, मेरा प्रण है।”

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस गोलीकांड से इतने व्यथित हुए थे कि,उन्होंने भोपाल में उपवास किया था। प्रभावित परिवारों के भोपाल पहुंचने पर उन्होंने उपवास खत्म किया था। साथ ही जांच के आदेश दिए थे, मगर अफसोस हर किसी को इस बात का है कि अब तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है। किसान परिवारों को एक करोड़ का मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी का वादा किया। जो पूरा हो चुका है।

इसके ठीक बाद सरकार और भाजपा संगठन से जुड़े कई लोगों ने मंदसौर किसान आंदोलन को किसान नहीं बल्कि कांग्रेस का आंदोलन प्रचारित करने की कोशिश की। साथ ही इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का आरोप लगाया। इस बात से किसानों में नाराजगी भी है।

किसान आरोप लगा रहे है कि सरकार और प्रशासन उन्हें मंदसौर के पिपलिया मंडी जाने से रोक रही है, सुरक्षा के नाम पर इतनी ज्यादा बैरिकेडिंग की गई है कि लोग आसानी से पहुंच ही न पाएं। वहीं प्रशासन सुरक्षा का हवाला दे रहा है।

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