पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में के बाद अब सबकी नजर राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) पर टिकी है ,राष्ट्रपति का चुनाव आगामी जुलाई में होने को है ,तीसरी बार देश में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए की तरफ से देश के सर्वोच्च नागरिक का प्रस्ताव रखा जायेगा .
देश में पहली बार एनडीए की तरफ से साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद को सुशोभित हुए | उसके बाद वर्ष 2017 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में रामनाथ कोविंद भारत के सर्वोच्च नागरिक चुने गए ,राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारतीय जनता पार्टी एवं आरएसएस से अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े रहने वाले प्रथम राष्ट्रपति हैं |
एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास सर्वोच्च नागरिक के चयन का दूसरा अवसर होगा | भारतीय जनता पार्टी किसको राष्ट्रपति के पद के लिए अपना कैंडिडेट बनाएगी (President election 2022 candidates) ,यह सच में उत्साहित करने वाला विषय है| क्या देश में इस बार नारी शक्ति सर्वोच्च नागरिक की कुर्सी पर आसीन होंगी ? बहुत मुमकिन है की इस बार दक्षिण भारत से कोई चेहरा हो | रामनाथ कोविंद के बाद इस बार राष्ट्रपति कैंडिडेट के तौर पर दक्षिण की और से कोई चेहरा हो ,या पीएम इस बार पूर्वोत्तर से किसी जनजातीय नेता को अपना उम्मीदवार बनाएंगे?
उस स्थिति में निश्चित रूप से उपराष्ट्रपति कोई उत्तर भारतीय नेता होंगे। प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के लिए प्रत्याशियों का चयन वास्तव में टेढ़ी खीर के सामान है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को पूर्ण हो रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत के पश्चात पीएम मोदी संघ के एक कट्टर प्रशिक्षित कार्यकर्ता को राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के कैंडिडेट के रूप में आगे बढ़ाने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहेंगे।
वास्तव में संघ प्रमुख मोहन भागवत को उत्साहित करेगा, खासकर तब, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपना 100वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। पोलिटिकल अडवाइजर प्रशांत किशोर के कांग्रेस ना ज्वाइन करने से विपक्ष पूरी तरह डगमगा गयी है
क्षेत्रीय दल धीरे-धीरे कांग्रेस से दूर हो रहें हैं। राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के साथ इसमें रफ़्तार देखा जा सकता है। खैर कुछ भी हो, रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के रूप में अपने किसी कैंडिडेट का चयन एनडीए सरकार के लिए कितना सरल और कठिन होगा, यह प्रश्न फिलहाल राजनीतिक पर्यवेक्षकों के जेहन में है। पीएम मोदी आपदा को अवसर में बदलने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं। क्या वह इस दफा भी किसी कुशल कैंडिडेट का चयन कर राष्ट्रपति बनाने में कामयाब होंगे?
पांच मे से चार प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की विजय और कांग्रेस को चारों खाने चित करने से 2024 के लोकसभा में आसानी से जीत प्राप्त करने में उन्हें मदद मिल सकती है। यह मोदी के दूसरे कार्यकाल का मध्यावधि मूल्यांकन का भी वक्त है। प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद का कैंडिडेट चुनने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं। साल 2017 में बीजेपी के साथ प्रचंड बहुमत था। उस समय शिवसेना व अकाली दल एनडीए के अंश थे। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रकाश सिंह बादल के साथ भारतीय जनता पार्टी के रिश्ते में खटास हैं और अन्नाद्रमुक के ओ. पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी कमजोर स्थिति में हैं।
पिछले राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) के समय जम्मू और कश्मीर विधानसभा भी अस्तित्व में थी। अब केंद्र शासित प्रदेश बन गए जम्मू और कश्मीर में विधानसभा के चुनाव राष्ट्रपति चुनाव के बाद होने की संभावना है। इसलिए पीएम मोदी को कुल वोटों का 55 फीसदी अर्जित करने में एड़ी से चोटी एक करना पड़ेगा।
देश में तकरीबन 735 एमपी और 4,128 एमएलए हैं, जिनके वोटों की काउंटिंग राष्ट्रपति चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होती है। प्रधानमंत्री मोदी उसका सामना कैसे करेंगें? हाल ही में हैदराबाद में संघ के नेताओं और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच हुई मीटिंग में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो दूतों ने अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे ।
एक बात तो साफ है ,एनडीए चाहे किसी को भी राष्ट्रपति पद के लिए अपना कैंडिडेट चुने, लेकिन न तो रामनाथ कोविंद को पुनः राष्ट्रपति बनाया जाएगा और न ही वेंकैया नायडू का प्रमोशन किया जाएगा। इसलिए हाई लेवल पर कैंडिडेट्स की लिस्ट अभी तैयार हो रही है | लेकिन व्यावहारिक रूप से जुलाई, 2022 के पहले हफ्ते में कोई निर्णय लेने की संभावना है , और उस फैसले के जरिए पीएम मोदी लोगों को चकित कर सकते हैं। आप किसी भी राजनेता से पूछिए, वह कहते हैं कि मोदी है, तो मुमकिन है।
[लेखक के अपने विचार हैं ]