प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ओडिशा के कंधमाल में एक रैली को संबोधित करने पहुंचे। इस दौरान पीएम ने मंच पर मौजूद लगभग 80 साल की बुजुर्ग महिला के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। प्रधानमंत्री ने इससे पहले उनको सम्मान स्वरूप अंगवस्त्र भी भेंट किया। दरअसल ये कोई साधारण महिला नहीं बल्कि पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पूर्णमासी जानी हैं। पूर्णमासी जानी एक जानी मानी कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उन्हें 2021 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पूर्णमासी जानी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। वो कभी स्कूल नहीं गईं इसके बावजूद उन्होंने उड़िया, कुई और संस्कृत में एक लाख से अधिक भक्ति गीत और कविताएं लिखी हैं। जानी को पद्म श्री सम्मान आदिवासी संस्कृति और कला में उनके योगदान के लिए दिया गया था। उन्हें आदिवासी आध्यात्मिक गतिविधियों के गहन ज्ञान के लिए ताड़िसरू बाई के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णमासी जानी का जन्म 1944 में हुआ था। कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी। उन्होंने छह बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कोई भी जीवित नहीं बचा।
बच्चों की मौत से पूरी तरह टूट चुकीं जानी ने दर्द से उबरने के लिए भक्ति का रास्ता चुना। जानी कुछ संतों के साथ तपस्या करने के लिए अपने गांव के पास ताड़िसरू पहाड़ी पर गईं। तपस्या के वर्षों बाद जब वह अपने गांव लौटीं तो लोगों ने उन्हें एक संत के रूप में माना और ताड़िसरू बाई कहने लगे। इसके बाद फिर उन्होंने भक्ति गीत और कविताएं लिखना शुरू कर दीं। आज उनके लगभग 5,000 गीत और कविताएं कई साहित्यकारों और साहित्यिक समितियों द्वारा रिकॉर्ड किए गए हैं।