कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। कर्नाटक की जनता ने देश की सबसे पुरानी पार्टी के पक्ष में स्पष्ट जनादेश दिया है। कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल कर चुकी है। कर्नाटक का चुनाव प्रचार कई मामलों में हाई प्रोफाइल रहा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी इस चुनाव एक बड़े मौके की तरह देख रहे थे।
राजनीतिक विशेषज्ञ कांग्रेस के प्रचार अभियान और मेनिफेस्टो को जीत की वजह बता रहे हैं। जिसमें कई लोक लुभावन वादे किए गए थे। जो जनता को बेहद पसंद आते हैं। कांग्रेस की इस बड़ी जीत के पीछे एक नाम काफी चर्चा में है, चुनावी रणनीतिकार सुनील कानुगोलू का। जिन्हें कांग्रेस का चाणक्य भी कहा जा रहा है।
40 साल के सुनील कर्नाटक के बेल्लारी जिले से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता कन्नड़ और मां तेलुगु है। शुरुआती पढ़ाई लिखाई सुनील की बेल्लारी में ही हुई। फिर पूरा परिवार चेन्नई शिफ्ट हो गया। वहां से सुनील ने आगे की पढ़ाई की। फिर यूएसए गए, वहां मास्टर की दो डिग्री ली। एक फाइनेंस और एक एमबीए में। पढ़ाई के बाद सुनील ने मैनेजमेंट कंसलटेंसी कंपनी में भी काम किया और 2009 में सुनील यूएसए से भारत लौट आए।
सुनील की रहन-सहन की बात करें तो वह काफी लो प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं। मीडिया की चमक चमक उन्हें रास नहीं आती है। पर्दे के पीछे काम करना उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है। कई चुनावों में राजनीतिक दलों को जीत दिलाने के बाद भी सुनील कभी मीडिया के सामने नहीं आए।
मिली जानकारी के मुताबिक टिकटों का बंटवारा भी, जो कांग्रेस आलाकमान द्वारा किया गया। उसके पीछे भी सुनील ने जो सर्वे रिपोर्ट सौंपा था, उसी के आधार पर हुआ। सुनील ने पिछले 8 महीने में कर्नाटक में पांच सर्वे कराए। कुछ सीटों को छोड़ दे तो सभी सीटों के उम्मीदवारों का चयन सुनील की टीम के सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर ही हुआ था। इसी सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने 70 हॉट सीटें भी चुनी थी।