देशभर में आज करवाचौथ मनाया जा रहा है। आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। करवाचौथ व्रत को कर्क चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से जानते है। बताया जाता है की इस दिन करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शंकर और गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है।
करवा चौथ के व्रत का इंतजार सभी सुहागिन महिलाओ को साल भर से रहता है। इस त्योहार में सोलह श्रृंगार के साथ पति का सानिध्य और स्नेह मिलता है।और सुहाग से जुड़ी चीजों का काफी महत्व होता है। पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत उपवास का पारण करती हैं। अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
करवाचौथ पूजन का शुभ मुहूर्त
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी प्रारम्भ – 24 अक्तूबर प्रातः 3:01 मिनट से
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ख़त्म – 25 अक्तूबर प्रातः 5:43 मिनट तक।
करवाचौथ चंद्र उदय का समय
आज रात्रि 8:12 मिनट पर चन्द्रमा का उदय होगा। अलग-अलग जगहों पर चांद के निकलने का समय थोड़ा आगे पीछे रहेगा।
करवा चौथ पूजन सामग्री
करवाचौथ व्रत की पूजा के लिए इन सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।
क्या है करवा करवा चौथ पूजा करने की विधि ?
1. करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें।
2. इसके बाद पूजा करते समय व्रत प्रारंभ करें और इस मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें- ‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
3. इसके बाद जिस स्थान पर आप करवाचौथ का पूजन करने वाले हैं वहां आप गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं।
इसके पश्चात आठ पूरियों कि अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएँ।
4. अब आप पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें और साथ ही उनकी गोदे में गणेश जी को विराजित कराएं।
5. अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
6. गौरी मां के सामने जल भर कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके।
7. गणेश गौरी की विधि पूर्वक पूजा करें और करवाचौथ की कथा सुनें।
8. कथा सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिन्दियां लगाएं।
9. कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें।
10.पूजा करने के उपरांत चंद्रमा निकलते ही चंद्र दर्शन के उपरांत पति को चलनी से देखें।
11. इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का उद्यापन करें।