भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष संजय सिंह (Sanjay Singh) का ताजा बयान एक बार फिर कुश्ती संघ के अधिकारियों और पहलवानों को आमने-सामने कर सकता है. संजय सिंह ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय कुश्ती के फीके प्रदर्शन पर बयान देते हुए पहलवानों के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया है, जो जनवरी 2023 से शुरू होकर एक साल से भी लंबे समय तक जारी रहा था. संजय सिंह ने कहा कि इस आंदोलन के चलते पहलवान ओलंपिक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय टू्र्नामेंट्स की तैयारी नहीं कर पाए.
भारत ने इस बार पेरिस ओलंपिक में 6 पहलवानों को भेजा था. लेकिन उसके खाते में सिर्फ एक ही पदक आया, जो पुरुष कुश्ती के 57 किलो के भारवर्ग में अमन सहरावत ने अपने नाम किया. उन्होंने पुएरटो रिको के डेरियन क्रूज को हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. पिछले साल दिसंबर में बृजभूषण शरण सिंह के बाद WFI का अध्यक्ष पद संभालने वाले सिंह ने कहा कि एक साल से भी ज्यादा समय तक चलने वाले आंदोलन के चलते पहलवानों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परफॉर्म करने से पहले प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला.
इंडिया टुडे से बातचीत में सिंह ने कहा, ‘अगर आप इसे एक अलग दृष्टिकोण से देखें तो पहलवानों का विरोध प्रदर्शन 14-15 महीनों तक चला. इससे पूरी पहलवान बिरादरी परेशान थी. पहलवान इस दौरान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स के लिए अभ्यास नहीं कर पाए और इसलिए पहलवान ओलंपिक में भी परफॉर्म नहीं कर पाए.’
बता दें जनवरी 2023 में शुरू हुए पहलवानों के आंदोलन में विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, जिसमें भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण का आरोप लगे थे. इसके बाद संजय सिंह जब भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने तो साक्षी मलिक ने इसका विरोध करते हुए कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया.
विनेश ने ओलंपिक की 50kg भारवर्ग में भाग लिया था और वह इस स्पर्धा के फाइनल में पहुंची थीं. लेकिन फाइनल के दिन जब दोबारा उनका वजन हुआ तो वह तय सीमा से 100ग्राम अधिक था, जिसके चलते उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. हालांकि विनेश ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है, जिसकी खेल पंचाट में सुनवाई जारी है और इस पर 16 अगस्त को फैसला आएगा.