क्यों हुई थी भीमा-कोरेगांव हिंसा, जानें पूरा मामला !

नई दिल्ली: भीमा-कोरेगांव हिंसा का संबंध 200 साल पुराना इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। दो सौ साल पहले एक ऐसी लड़ाई हुई थी कारण कारण महाराष्ट्र के कई शहरों में तनाव बना हुआ है। आपका जहन में एक बात आ रही है कि जो लड़ाई 200 साल पहले हुई उसकी असर आज भी कैसे बरकरार है? ये हिंसा क्यों हुई? कौन लोग पीछे पीछे हैं। इस बारे में जानने के लिए 200 साल पहले युद्ध के इतिहास के बारे में जानना होगा।

1 जनवरी 1881 में पुणे के पास कोरेगांव में ब्रिटिस ईस्ट इडिया कंपनी और पेशवाओं की फौज के बीच एक लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज की सेना ने (महार जाति के) दलित लोगों के साथ मिलकर पेशवाओं को हरा दिया था। अपने इस जीत का जश्न (सालगांठ) मनाने के लिए हर साल 1 जनवरी को हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग पुणे में एकत्रित होते हैं और भीम-कोरेगांव से एक युद्ध स्मारक तक मार्च कर रहे हैं।

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31 दिसंबर को पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम के बाद दलितों और उच्च जाति के पेशवालों के बीच हिंसा हुई हो गया था। जिसमें एक शख्स की मौत और चार लोग घायल हो थे। इसके बाद हिंसा महाराष्ट्र के 18 जिलों में फैल गया।

आप बताओ, करीब पांच लाख से ज्यादा दलित समाज के लोग शौर्य दिवस मनाने के लिए उस विशेष स्थान पर एकत्रित थे। उस समय कुछ लोग ने भीमा-कोरेगांव विजय स्तंभ की ओर जा रहे लोगों की गाड़ी पर हमला कर दिया। जिन कारण पर हिंसा भड़क गया एक युवक की मौत हो गया। इस घटना के बाद दलित समुदाय ने इस हिंसा का विरोध कर दिया पुणे, मुंबई, नासिक, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद और सोलापुर समेत कई राज्य के एक दर्जन से ज्यादा शहरों में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।

इस घटना पर पुलिस ने कहा था कि, इस लड़ाई की 200 वीं सालगांठ मनाने के ठीक एक दिन पहले 31 दिसंबर 2018 को एल्गार परिषद कार्यक्रम के दौरान दिए गए भाषण में हिंसा को भड़काया गया था। पुलिस ने उस समय हिंसा की घटना के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था।

पीएम मोदी की हत्या की साजिश का पत्र

जून में एल्गार परिषद के सिलसिले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया पांच लोगों में से एक के घर में तलाशी के दौरान पुणे पुलिस को एक पत्र बरामद हुआ था। पत्र में कथित रूप पर प्रधान मंत्री की हत्या पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की तर्ज पर करने की बात कही गई थी और उसमें वरवर राव के नाम का जिक्र भी किया गया था।

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इसके साथ ही विश्रामबाग थाने में एक चेकिकी दर्ज कराई गई थी मुताबिक इन पांच लोगों पर माओवादियें से करीबी संबंध रखने का आरोप है।

पुलिस ने राव को गिर किया

पुणे पुलिस ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा से पहले तक एल्गार परिषद मामले में मुंबई, पुणे, गोवा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा में सुबह से ही घरों और कार्यालयों पर छापेमारी कर कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है।

पुलिस ने राव के हैदराबाद में गांधी नगर स्थितियों, आवास यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को उनके घर फरीदाबाद, सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नर्वखा को घर नई दिल्ली, लेखक और कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे के घर गोवा में, वर्नेन गोंजावेल्स और अरुण फरेरा के घर मुंबई में छपे मारी की गई। से से वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नेन गोंजावेल्स और गौतम नवलखा को गिर भी किया गया।

पुलिस उपयुक्त (मध्य क्षेत्र) विश्व प्रसाद ने कहा, ‘पुणे पुलिस ने हमारी मदद मांगी। हम तलाशी करने और गिरफ्तारी में मदद के लिए स्थानीय बल मुहैया किया। उन्हें (राव को) … एक अदालत में पेश किया जाता है और ट्रांजिट वारंट पर पुणे ले जाया। ‘

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