‘बड़े राजभर’ की बत्ती गुल कर पाएगा बीजेपी का अपना ‘छोटा राजभर’ ?

लखनऊ: यूपी विधानसभा में 4 विधायकों वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अब 27 अक्टूबर को लखनऊ में बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोलने वाले हैं. पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर ओमप्रकाश उस दिन लखनऊ में रैली करने जा रहे हैं. बीजेपी अब तक राजभर की बात भी सुनती रही है और कोरे आश्वासन भी देती रही है. देखना अब ये है कि 27 अक्टूबर को ओमप्रकाश क्या करते हैं और बीजेपी उनके अगले कदम का जवाब किस तरह देती है.

40 विधानसभा सीटों के वोटरों का है सवाल

दरअसल, यूपी की 40 विधानसभा सीटों पर राजभर बिरादरी का असर है. 2017 में ओमप्रकाश की पार्टी ने 8 सीटों पर चुनाव लड़कर 4 सीटें जीती थीं. बाकी सीटों पर बीजेपी को उन्होंने समर्थन दिया था. इसी वोट बैंक के दम पर ओमप्रकाश आए दिन योगी सरकार पर निशाना साधते रहते हैं. ओमप्रकाश राजभर के निशाना साधने की वजह सरकार की ओर से उनकी मांगों को पूरा न करना है. बता दें कि गाजीपुर के डीएम पद से संजय कुमार खत्री को हटाने की उनकी मांग सरकार ने काफी दिनों बाद मानी थी. जबकि पिछड़ों के आरक्षण में तीन श्रेणियां बनाने की ओमप्रकाश की मांग अब तक नहीं मानी गई है.
बताया जा रहा है कि 27 अक्टूबर को लखनऊ की रैली में बीजेपी से नाता तोड़ने की ओमप्रकाश घोषणा कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले उनके गरम-नरम रवैये को देखते हुए ऐसा होने के आसार कम और प्रेशर पॉलिटिक्स ज्यादा माना जा रहा है. ओमप्रकाश पहले भी कह चुके हैं कि वो बीजेपी के साथ रहते हुए ही अपना विरोध जारी रखेंगे. माना जा रहा है कि योगी सरकार में एक और मंत्री अनिल राजभर की वजह से ओमप्रकाश हर बार तेवर दिखाने के बावजूद ठंडे पड़ जाते हैं और बीजेपी भी उन्हें घास नहीं डालती.

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अनिल राजभर को आगे कर रही बीजेपी

बीजेपी ने इस दौरान ओमप्रकाश राजभर की काट के लिए अनिल राजभर को आगे लाने का भी काम किया. अनिल राजभर थे तो सपा में, लेकिन बीजेपी ने उन्हें चिरईगांव से टिकट दिया और योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री भी बनाया. अनिल के पिता रामजीत राजभर भी चिरईगांव और धानापुर से बीजेपी के विधायक रहे थे. अनिल की भी राजभर वोटरों में अच्छी पकड़ है और उन्हीं के सहारे वो ओमप्रकाश की बत्ती गुल करना चाहती है. सवाल यह है कि बीजेपी के अपने अनिल राजभर बिरादरी के वोट अपनी पार्टी के एकजुट करवा पाएंगे ? ओमप्रकाश राजभर से मुकाबला कर पाएंगे क्योंकि ओमप्रकाश ने लगातार अपने सख्त तेवरों से बिरादरी के मान, सम्मान और गौरव को ऊंचा किया है. जबकि अनिल पार्टी लाइन के सिपाही हैं.

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