नई दिल्ली। दिवाली का पर्व बीतते ही अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और गोवर्धन के अगले दिन भाई दूज का पर्व आता है। ये भाई- बहन का पर्व (भाई दूज) है। इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाती है। इस दौरान दोनों (भाई-बहन) एक- दूसरे से सुख- दुख में साथ निभाने का वचन भी देते हैं। भाई दूज का ये पर्व कई स्थानों पर यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक कथाओं के मुताबिक, भाई दूज के पावन दिन पर ही यमुना नदी ने अपने भाई यमराज को घर बुलाया था और उनका तिलक किया था। तो चलिए आपको बताते हैं क्या है भाई दूज पर पूजा का शुर्भ मुहूर्त तथा कैसे करें पूजा पाठ।
ये है पूजा का विधि विधान
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सबसे पूर्व सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
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अब आप घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें।
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आपको भगवान विष्णू और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
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भाई दूज के दिन भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है।
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आपको इस दिन भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाना चाहिए।
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अब भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं।
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अपने भाई को तिलक (टीका) लगाएं और भाई की आरती उतारें।
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अब अपने भाई के हाथ में कलावा बांधें और उसे मिठाई खिलाएं।
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मिठाई खिलाने के बाद अपने भाई को भोजन कराएं।
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इस दिन भाई को अपनी बहन को उपहार में कुछ न कुछ देना चाहिए।