अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तान भारत के बीच चल रहे कश्मीर विवाद को लेकर टिप्पणी की है। जिससे ये मुद्दा फिर चर्चा में है। उन्होंने कहा कि कश्मीर विवाद को हल करना भारत और पाकिस्तान निर्भर करता है। हालांकि दोनों देश चाहते हैं तो मैं इसमें हस्तक्षेप करने को तैयार हूं। विवाद हल करने के लिए हमारी मध्यस्थता पूरी तरह भारत और पाकिस्तान पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि अगर दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश इस दशकों पुराने मुद्दे को हल करने में मदद मांगते हैं तो हम उनकी मदद करते।
ट्रंप की टिप्पणी पर जयशंकर का पलटवार-
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कश्मीर पर फिर की गई टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैंकाक में अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पॉम्पियो से मिलने के बाद कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘आज सुबह अमेरिकी समकक्ष पॉम्पियो को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि कश्मीर मसले पर यदि वार्ता होगी तो वह द्विपक्षीय और केवल पाकिस्तान के साथ होगी।’
बता दें कि ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपने पिछले हफ्ते की बैठक का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करने की पेशकश की थी। हालांकि भारत ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। जबकि पाकिस्तान ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह वास्तव में अब सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निर्भर है कि वह इस मध्यस्थता की पेशकश को स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि मोदी और इमरान अगर चाहें तो बहुत अच्छी तरह से मिलकर काम कर सकते हैं, लेकिन अगर वे मदद चाहते हैं कि कोई इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर उनकी मदद करे तो अमेरिका तैयार है।
नाम नहीं बताने की शर्त पर कहीं यह बातें-
वहीं इसके बाद अब एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि वह अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध देखना चाहते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही है। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर यह बातें बताई हैं। दरअसल अधिकारी से कश्मीर मुद्दे पर पिछले सप्ताह ट्रंप द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर सवाल किया गया था और उनसे कश्मीर पर अमेरिका का रुख पूछा गया था।
ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ व्हाइट हाउस में बैठक के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनने की पेशकश की थी। हालांकि भारत ने सीधे तौर पर ट्रंप की इस पेशकश को खारिज कर दिया था। भारत ने कहा था कि नयी दिल्ली का रुख इस मामले पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत का रहा है।
अधिकारी ने बताया कि कश्मीर मुद्दे पर जैसा कि मैंने कहा कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार देखना चाहेंगे। इसलिए आपने राष्ट्रपति की सहयोग की पेशकश सुनी थी। अधिकारी ने कहा कि हमारा मानना है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा रहा है लेकिन कुछ मौके बने हैं क्योंकि पाकिस्तान ने ऐसे कदम उठाए हैं जो आतंकवाद के खात्मे के लिये उसके अपने प्रयासों में विश्वास बढ़ाते हैं और अंतत: रचनात्मक वार्ता की ओर ले जाते हैं। अगर दोनों पक्ष चाहें तो हम सहयोग के लिये तैयार हैं।”
उन्होंने कहा कि हम दर्दनाक पेशावर हमले के बाद पाकिस्तान के सभी दलों द्वारा तैयार राष्ट्रीय कार्ययोजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री इमरान खान की उस निजी प्रतिबद्धता का भी समर्थन करते हैं कि पाकिस्तान की धरती पर किसी भी आंतकी समूह को संचालित नहीं होने दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि बेशक भारत-पाकिस्तान के संबंधों में सुधार देखने में हर किसी की दिलचस्पी है और राष्ट्रपति की पेशकश इसी तथ्य को ध्यान में रखकर की गई थी।