तिहाड़ में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक का हलफनामा, कहा- ‘अब मैं गांधीवादी हूं’

जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने खुद को गांधी वादी नेता बताया है और कहा कि मैंने 30 साल पहले ही हथियार छोड़ दिया था। तिहाड़ जेल में बंद यासिन मलिक ने ये बातें अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) न्यायाधिकरण को दिए अपने हलफनामें कहीं हैं।

हलफनामें में क्या कहा ?

अपने हलफनामे में मलिक ने कहा, “मैंने हथियार छोड़ दिए हैं, अब मैं गांधीवादी हूं,”। बता दें कि न्यायाधिकरण कश्मीर घाटी में 1990 के दशक में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व करने वाले JKLF-Y पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा कर रहा था। इस पर मलिक ने न्यायाधिकरण को बताया कि हिंसा छोड़ने का उनका फैसला “एक संयुक्त, स्वतंत्र कश्मीर” को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था। यह काम शांतिपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिए।

यूएपीए न्यायाधिकरण ने हाल ही में जारी अपने आदेश में जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (JKLF-Y) को अगले पांच वर्षों के लिए अवैध संगठन घोषित किया है। यह आदेश अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत जारी किया गया। इस फैसले में संगठन के 1994 से प्रमुख राजनीतिक और सरकारी हस्तियों से संबंधों पर प्रकाश डाला गया और इसकी वैधता पर सवाल उठाए गए।

उम्रकैद की सजा काट रहा है यासीन मलिक

बता दें कि यासीन मलिक आतंकवाद वित्तपोषण मामले यानी टेरर फंडिंग में दोषी ठहराए जाने के बाद तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। वह 1990 में श्रीनगर के रावलपोरा में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी हैं। इस साल की शुरुआत में गवाहों ने मलिक को इस मामले में मुख्य शूटर के रूप में पहचाना था।

इसके अलावा मई 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा जांच किए गए आतंकवाद वित्तपोषण मामले में भी उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

हलफनामे में और क्या कहा

अपने हलफनामे में यासीन मलिक ने दावा किया कि 1990 के दशक की शुरुआत में विभिन्न राज्य अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि कश्मीर विवाद का समाधान सार्थक वार्ता के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनसे यह वादा किया गया था कि अगर उन्होंने एकतरफा संघर्ष विराम की शुरुआत की, तो उनके और JKLF-Y के सदस्यों के खिलाफ सभी आरोप हटा दिए जाएंगे।

हालांकि, केंद्र सरकार ने 15 मार्च, 2024 को जारी अपने प्रतिबंध अधिसूचना और JKLF-Y के खिलाफ मामलों में शामिल अधिकारियों के बयानों में तर्क दिया कि 1994 में सशस्त्र प्रतिरोध छोड़ने के बावजूद, मलिक ने आतंकवाद का समर्थन और उसे बनाए रखना जारी रखा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles