केंद्र में मोदी और राज्य में योगी, ये दोनों ही नेता अपने सख्त निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया। साथ ही तीन तलाक जैसे प्रथा को भी खत्म कर दिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीएम मोदी की तरह बोल्ड डिसीजन लेने में माहिर हैं। 2024 के मानूसन सत्र शुरू होने के दो दिन के अंदर ही सीएम योगी ने विधानसभा से एक ऐसा संशोधित बिल पारित कर दिया। जो अब सियासी गलियारों से लेकर चौक-चौराहों और हर धर्म के लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। ये एक ऐसा बिल है, जिसमें दोषी पाए जाने वाले शख्स को ताउम्र जेल की सलाखों के पीछे सड़ना पड़ेगा।
योगी सरकार ने पुराने कानून को किया और भी ज्यादा सख्त
जी हां! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘लव जिहाद’ को रोकने वाले पुराने कानून को और भी ज्यादा सख्त कर दिया है। योगी सरकार के इस नए कानून में दोषी शख्स को उम्रकैद तक की सजा दी जाएगी। साथ ही नए कानून में जुर्माने की रकम को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। सीएम योगी ने मॉनसून सत्र में मंगलवार को पुराने कानून को और ज्यादा सख्त करने वाला ‘प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलीजन (अमेंडमेंट) बिल 2024’ विधानसभा से पारित किया है। यहां ये जानना बेहद जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में 2020 से जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून है। योगी सरकार ने चार साल बाद इसमें फिर संशोधन कर नया बिल पेश कर इसे और सख्त बनाया है।
जानिए लव जिहाद कानून में क्या है सजा का प्रावधान?
इस संशोधित कानून के उत्तर प्रदेश विधानसभा से पारित होने के बाद अब धर्मपरिवर्तन यानी ‘लव जिहाद’ से जुड़े मामलों को लेकर पुलिस प्रशासन और भी ज्यादा सख्त हो गया है। ऐसे में जानना बेहद जरूरी है कि लव जिहाद को लेकर इस नए संशोधित कानून में ऐसा क्या है?
उम्र भर की हो सकती है जेल
अगर कोई शख्स डरा-धमकाकर, लालच देकर, शादी कर या शादी का वादा कर किसी महिला, नाबालिग या किसी भी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करता है या ऐसी कोशिश करता है तो इसे गंभीर अपराध माना जाएगा। संशोधित कानून में ऐसे मामलों में 20 साल जेल या उम्र भर जेल का प्रावधान किया गया है।
50 हजार रुपये का जुर्माना
पहले किसी महिला को धोखा देकर और उसका धर्मांतरण कर उससे शादी करने के दोषी पाए जाने वाले के लिए अधिकतम 10 साल तक की सजा एवं 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान था। वहीं, अब इस संशोधित अधिनियम में छल-कपट या जबर्दस्ती कराए गए धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
पीड़िता का उठाना पड़ेगा डॉक्टरी खर्च
साथ ही इसमें जुर्माने की राशि पीड़ित के डॉक्टरी खर्च को पूरा करने और उसके पुनर्वास व्यय पर आधारित होगी। कोर्ट धर्म संपरिवर्तन के पीड़ित के लिए मुआवजा भी स्वीकृत करेगा, जो अधिकतम 5 लाख रुपये तक हो सकता है और यह जुर्माना के अतिरिक्त होगा। इसका भुगतान दोषी व्यक्ति ही भरेगा।
10 लाख रुपये का जुर्माना
अगर कोई विदेशी अथवा गैर कानूनी संस्थाओं से धन प्राप्त करेगा। उसे सात साल से 14 साल तक की कठोर कैद हो सकती है। इसमें 10 लाख रुपये जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। संशोधित प्रावधान के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि धर्मांतरण मामलों में अब कोई भी व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है।