उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की हैट्रिक के लिए अभी से कमर कस ली है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अब योगी बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के विजयोत्सव में सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के साथ नजर आएंगे। इस मौके पर 40 फीट ऊंची सुहेलदेव की प्रतिमा का अनावरण होगा। ये आयोजन सिर्फ हिंदुत्व का एजेंडा नहीं, बल्कि जातीय समीकरण साधने की भी बड़ी चाल है।
योगी-राजभर की सियासी केमिस्ट्री
बहराइच में 10 जून 1034 को महाराजा सुहेलदेव राजभर ने सालार मसूद गाजी को युद्ध में धूल चटाई थी। अब योगी सरकार उस ऐतिहासिक जीत को ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रही है। सीएम योगी खुद बहराइच में होंगे और उनके साथ सुभासपा के बॉस और यूपी के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर भी मौजूद रहेंगे। दोनों मिलकर चित्तौरा में 40 फीट ऊंची कांस्य की सुहेलदेव प्रतिमा का अनावरण करेंगे, जिसे यूपी की ललित कला अकादमी ने तैयार करवाया है। सियासी गलियारों में इसे 2027 के लिए बीजेपी की बड़ी रणनीति माना जा रहा है।
गाजी मियां पर ब्रेक, सुहेलदेव का महिमामंडन
योगी सरकार ने गाजी मियां के मेलों और उत्सवों पर रोक लगा दी है, लेकिन महाराजा सुहेलदेव के नाम पर पहली बार भव्य मेला आयोजित हो रहा है। इस मेले का उद्घाटन खुद सीएम योगी करेंगे, जिसमें ओम प्रकाश राजभर खास मेहमान होंगे। योगी पहले ही कह चुके हैं कि स्वतंत्र भारत में गाजी मियां जैसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आस्था पर हमला किया। दूसरी तरफ, ओपी राजभर ने कांग्रेस पर सुहेलदेव की वीरगाथा को इतिहास से गायब करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ये सिर्फ राजनीति का सवाल नहीं, बल्कि हमारी अस्मिता और बच्चों के भविष्य से जुड़ा मसला है।
हिंदुत्व और जातीय समीकरण का कॉकटेल
बीजेपी इस आयोजन के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देने के साथ-साथ राजभर और पासी जैसे ओबीसी और दलित समुदायों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। गाजी मियां को खलनायक और सुहेलदेव को हिंदुत्व का सिपाही बताकर बीजेपी एक तीर से दो निशाने साध रही है। राजभर समुदाय, जो पूर्वांचल में 12 से 22 फीसदी वोटों का दम रखता है, बीजेपी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। खासकर वाराणसी, सलेमपुर, बलिया, मऊ और गाजीपुर जैसे जिलों में राजभर वोटर किसी भी पार्टी का खेल बना-बिगाड़ सकते हैं।
राजभर वोटों पर बीजेपी की नजर
2017 में ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, जिसका फायदा दोनों को मिला। बीजेपी को यूपी की 22 सीटों पर जीत मिली, और सुभासपा ने चार सीटें झटकीं। लेकिन 2022 में राजभर ने सपा का दामन थाम लिया, जिससे अखिलेश यादव को फायदा हुआ। अब राजभर फिर से बीजेपी के साथ हैं, और 2027 से पहले दोनों की सियासी जोड़ी पूर्वांचल में राजभर वोटों को लामबंद करने की कोशिश में है। इस मेले को बीजेपी और एनडीए के लिए सियासी मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जो हिंदुत्व और जातीय समीकरण को एक साथ साधने की जुगत में है।
सपा को चुनौती, 2027 का इम्तिहान
सुहेलदेव विजयोत्सव सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि 2027 की सियासी जंग का ट्रेलर है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी राजभर वोटों को लुभाने के लिए गोमती रिवर फ्रंट पर सुहेलदेव की प्रतिमा लगाने का ऐलान किया है। लेकिन योगी और राजभर की जोड़ी इस मेले के जरिए पहले ही बाजी मारने की कोशिश में है। अब देखना ये है कि 2027 में ये सियासी बिसात किसके हक में जाती है।