हाइकोर्ट ने कहा,“साइबर सेल” के पास नहीं है टिकटॉक अकाउंट बंद कराने का अधिकार

बांबे हाई कोर्ट ने नफरत फैलने वाला वीडियो पोस्ट करने वाले उन तीन लोगों के टिक टॉक अकाउंट के निलंबन को रद्द कर दिया है जिन्हें नफरत फैलाने वाले वीडियो अपलोड करने के आरोप में ब्लॉक कर दिया गया था। इन्हें नौ माह पहले निलंबित किया गया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एन आर बोआरकर की खंडपीठ ने पाबंदी पिछले सप्ताह हटा दी थी।

शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस की साइबर सेल के निर्देश पर जुलाई 2019 को फैसू, हसनैन और शादान के टिक टॉक अकाउंटों पर रोक लगा दी गई थी। आरोप लगाए गए थे कि उनके द्वारा अपलोड किए गए वीडियो धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य फैला सकते थे और समाज की शांति और सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकते थे। तीनों आरोपियों को उच्च न्यायालय ने अगस्त 2019 को अंतरिम जमानत दे दी थी। उनके वकील रणबीर सिंह और प्रियंका खिमानी ने कहा कि उनके अकाउंटों पर अभी तक रोक लगी थी जिससे उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ा है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि दंड प्रकिया संहिता की धारा 91 के तहत साइबर सेल के पास आरोपियों के टिक टॉक अकाउंट को रोकने के निर्देश देने के अधिकार नहीं हैं।

सोशल मीडिया एप टिकटॉक ने गुरुवार को बांबे हाई कोर्ट से उस पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग की। मुंबई निवासी हीना दरवेश ने नवंबर 2019 में जनहित याचिका दाखिल कर दावा किया था कि टिकटॉक एप के कारण कई आपराधिक घटनाएं हुई हैं। लोग मौत का शिकार हो रहे हैं और यह युवाओं पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। इसलिए, इस पर प्रतिबंध लगाया जाए।

उल्‍लेखनीय है कि बीते दिनों सोशल मीडिया पर ‘स्कल ब्रेकर चैलेंज’ से जुड़े वीडियो सामने आ रहे थे। बच्चे इस चुनौती को स्वीकार करके खुद को नुकसान पहुंचा रहे थे। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे खेलों से बच्‍चों के सिर में चोट आ सकती है या फिर जोड़ों में चोट लग सकती है। यहां तक कि बच्‍चों की खोपड़ी तक टूट सकती है। दुनिया भर से इस चुनौती के चलते गंभीर रूप से चोटिल होने वाले लोगों के मामले सामने आए थे। इसके बाद टिकटॉक के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हुई थीं।

 

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles