लखनऊ। बेसिक शिक्षा के हजारों सहायक अध्यापकों और प्रधानाचार्यों के लिए खुशखबरी है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही अंतर जनपदीय तबादले की प्रक्रिया प्रदेश में शुरू हो जायेगी। तबादले के लिए कम से कम पति या पत्नी का तीन वर्ष एक जिले में शिक्षण कार्य करना जरूरी है।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बड़ी संख्या में सहायक अध्यापक एवं प्रधानाचार्य अंतर जनपदीय तबादले के लिए परेशान हैं, क्योंकि पति किसी जिले में तो पत्नी किसी दूसरे जिले में तैनात है।
इस मामले पर शासन स्तर पर जोर-शोर से तैयारियां शुरू हो गयी हैं। इसके लिए एक लाख से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं के अंतर जनपदीय तबादले के लिए आनलाइन आवेदन करने की उम्मीद है।
संभावना है कि इस अंतर जनपदीय तबादले से 50 हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को लाभ मिलेगा। वह कई वर्ष बाद अपने पसंद के जिले में नौकरी के लिए पत्नी सहित आ सकेंगे।
आवेदन जून के पहले हफ्ते से अंतर जनपदीय तबादले के लिए ऑनलाइन लिये जाने की तैयारियां हैं। इसकी भी शासन स्तर पर शीघ्र घोषणा होगी।
उधर, राजकीय इण्टर कालेजों में शिक्षक-शिक्षिकाओं के तबादले के लिए आनलाइन आवेदन 17 मई से लिया जा रहा है। यह तबादले भी दो माह में हो जाएंगे।
तबादले के दौरान सेना, मरीज, विधवा, विकलांग, दिव्यांगजन सहित अन्य प्रभावित लोगों को छूट दी जाती है, जबकि शेष अन्य को नहीं।
प्रदेश में सपा शासनकाल के दौरान तीन बार अंतर जनपदीय तबादले हुए थे। इसमें 50 हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं के अंतर जनपदीय तबादले हुए थे। जबकि प्रदेश के पूर्वसीएम अखिलेश यादव व बेसिक शिक्षा मंत्री ने विशेषाधिकार के तहत भी तबादले किये थे।
इससे शिक्षक-शिक्षिकाएं संतुष्ट थे। प्रदेश की भाजपा सरकार के वर्ष 2017-18 के दौरान अंतर जनपदीय तबादले हुए थे। उस दौरान करीब 11 हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं के तबादले हुए थे, जबकि तबादले के लिए आवेदन एक लाख से अधिक आनलाइन आये हुए थे।
बताया जा रहा है कि शासन स्तर पर अंतर जनपदीय तबादले के लिए नीति तैयार हो रही है। लोस चुनाव की आचार संहिता हटते ही तबादला नीति जारी होगी।
जून के पहले हफ्ते से ऑनलाइन आवेदन लिये जायेंगे व 20 जुलाई तक तबादले कर दिये जायेंगे।