नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, सभी राजनैतिक पार्टियां बड़ी सावधानी से सभी समीकरणों को मध्यनजर रखते हुए अपने उम्मीदवारों का चयन करने में जुटी हुई हैं. इसी सिलसिले में सीपीआई(एम) और बिहार के महागठबंधन ने बेगूसराय की लोकसभा सीट से जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया है.
बेगूसराय कन्हैया कुमार का पैतृक इलाका है और वहां उनकी काफी पकड़ भी मानी जाती है. लेकिन बेगूसराय से न सिर्फ कन्हैया कुमार बल्कि संघ विचारक और दिल्ली विश्वविधालय के प्रोफेसर राकेश सिन्हा भी आते हैं. दोनों की विचारधाराओ में जमीन आसमान का फर्क है. प्रोफेसर राकेश सिन्हा जहां आरएएस के सिद्धांतों के समर्थक हैं वहीं कन्हैया कुमार आरएसएस से आजादी की बातें करते हैं. ये दोनो ही टीवी चैनलों और बहस के अन्य माध्यमों पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आते हैं.
ऐसे में हो सकता है कि कन्हैया कुमार को टक्कर देने के लिए भाजपा, राज्यसभा के सदस्य राकेश सिन्हा को मैदान में ला सकती है. इन अटकलों को लेकर राकेश सिन्हा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट भी किया है. उन्होने लिखा है, “कुछ वामपंथी मेरे भविष्य को लेकर ट्विटर पर बहुत चिंतित हैं. वे बेगूसराय के लोकसभा चुनाव की भविष्यवाणी करते हुए मन भर गाली दे रहे हैं.इतना समय और ऊर्जा वे मार्क्स को भारतीय संदर्भ में समझने में लगाते तो शायद उनकी मानसिक उन्नति होती.बेगूसराय में भगवा बयार उन्हें दिखाई नही पड़ रहा है.”
बता दें कि बिहार की बेगूसराय सीट पर ऐसा केवल एक बार ही हुआ है जब किसी वामदल के प्रत्याशी ने लोकसभा चुनाव जीता हो. 1967 में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की तरफ से योगेंद्र शर्मा ने ये जीत हासिल की थी.