संसद में राफेल पर रक्षा मंत्री ने दिए 5 जवाब और किए 5 सवाल

संसद भवन में इस वक्त सिर्फ और सिर्फ राफेल का शोर सुनाई दे रहा है. राफेल विमान चलने का नहीं बल्कि खरीदने का शोर संसद भवन में हो रहा है. विपक्षी नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर राफेल में बड़ा भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है.

राहुल गांधी सरकार से कुछ सवाल पूछ रहे हैं. शुक्रवार को भी लोकसभा में राहुल गांधी ने पूरे तेवर के साथ सरकार से पांच सवाल पूछे लेकिन सरकार की ओर से भी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सवालों का आड़ा-टेढ़ा जवाब देते हुए राहुल गांधी से ही पांच सवाल पूछ डालें.

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लोकसभा की कार्यवाई में राफेल के मामलें में विपक्ष सरकार से सवाल कर रही है तो सरकार विपक्ष से सवाल कर रही है. देश की जनता सिर्फ जवाबों का इंतजार ही कर रही है. इस बात का अंदाजा किसी को नहीं है कि इन सवालों का जवाब जनता को कबतक मिलेगा. बहराल रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी के घेरते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार पर ही कई सवाल जड़ डालें. आइए उनके सवालों पर गौर करते हैं.

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सवाल नंबर 1:- 2001 में चीन और पाकिस्तान अपने-अपने वायुसेना को मजबूत बनाने में लगे हुए थे. जिसकी वजह से 2002 भारत में भी फैसला लिया गया कि उसे भी अपनी वायुसेना की ताकत को बढ़ाना चाहिए लेकिन फिर भी यूपीए सरकार 2014 तक के अपने कार्यकाल में लड़ाकू विमान क्यों नहीं ला पाई. ऐसी क्या वजह थी कि 10 साल के शासनकाल में भी मनमोहन सिंह की सरकार वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक लड़ाकू विमान नहीं खरीद पाई.

सवाल नंबर 2:- राफेल डील पर राहुल गांधी ने सवाल पूछा कि ऑफसेट क्लॉज पर मोदी सरकार ने सरकारी कंपनी एचएएल को दरकिनार कर अनिल अंबानी की कंपनी को क्यों कॉन्ट्रैक्ट दिया…? इस सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस एचएएल को लेकर घड़यालि आंसू बहा रही है. रक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में राफेल उत्पादक कंपनी ने दसॉ ने एचएएल द्वारा निर्मित किए जाने वाले राफेल विमान की गारंटी लेने से इंकार दिया था.

एनडीए के कार्यकाल में भी यह मामला छाया रहा, दसॉ ने कहा कि एचएएल द्वारा राफेल विमान के निर्माण में ढाई गुना ज्यादा समय लगता इसलिए वो अपनी पुरानी बात पर अडिग है. इस वजह से निजी कंपनियों को ऑफसेट में लेना काफी जरूरी थी. वहीं मौजूदा रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस ने संसद में कहा था कि एचएएल बैसाखी पर चलने वाली कंपनी है इसलिए उनसे इस स्तर के निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती.. लिहाजा अब क्यों कांग्रेस एचएएल के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है…?

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सवाल नंबर 3:– रक्षा मंत्री ने कहा कि दो देशों के द्विपक्षीय संबंधों में प्रोटोकॉल के मुताबिक किसी भी बड़े और अहम मुद्दों पर चर्चा सिर्फ सरकार और सरकार के बीच में ही की जाती है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने क्यों फ्रांस के राष्ट्रपति से राफेल मुद्दे पर बातचीत की? क्या देश के द्विपक्षीय रिश्तों में विपक्षी पार्टी द्वारा ऐसा दखल देना उचित है…?

सवाल नंबर 4:- राहुल गांधी पिछले कई महीनों से सरकार पर आरोप लगाते हुए आ रहे हैं कि 126 विमानों की डील को मोदी सरकार ने 26 विमानों की डील में क्यों बदल दिया. इस सवाल का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है. यूपीए सरकार के दौरान राफेल सौदे में दसॉ से सिर्फ 18 लड़ाकू विमान खरीदने पर काम किया जा रहा था और बचे हुए 108 विमानों की निर्माण यूपीए एचएएल से कराना चाह रही थी. रक्षा मंत्री ने कहा कि सच्चाई ये है कि यूपीए सरकार ने इस संबंध में ना तो फ्रांस सरकार से कोई एग्रीमेंट किया और ना ही दसॉ के साथ एचएएल में निर्माण का कोई एग्रीमेंट किया. इसपर निर्मला सीतारमण ने सवाल पूछा कि अगर कांग्रेस सरकार एचएएल को इस डील में शामिल करना चाहती थी तो उसने क्यों फ्रांस सरकार या दसॉ के साथ कोई एग्रीमेंट नहीं किया…?

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सवाल नंबर 5:- निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस से पूछा कि क्या वो अपने कार्यकाल में वाकई फ्रांस के साथ रक्षा सौदा करना चाहती थी…? अगर चाहती थी तो क्यों कोई एग्रीमेंट नहीं किया…? आखिर मनमोहन सिंह की सरकार को इस डील में किस चीज की कमी दिख रही थी?

मौजूदा रक्षा मंत्री ने कहा कि फ्रांस के साथ रक्षा सौदे को अटकाने के बाद तत्कालिन रक्षा मंत्री (पी चिदंबरम) ने 6 फरवरी 2014 को सदन में कहा कि ‘वेयर इज द मनी’ (पैसा कहां है). इसपर निर्मला ने पूछा कि क्या सरकार अपने खजाने में पैसों का प्रावधान देखे बिना फ्रांस के साथ रक्षा सौदा कर रही थी या फिर वो मंत्री जी किसी और किस्म के पैसों की बात पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. अंत में निर्माला सीतारमण ने पूछा कि क्या क्रांगेस इस डील में अपनी किक-बैक (कमीशन) ना दिखाई देने की वजह से इसे टाल रही थी?

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