1971 से पहले आए पाकिस्तानियों को ममता ने लगाया गले
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता दे दी. इसके पीछे सीएम ममता ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान के बीच हुए समझौते का हवाला देते हुए कहा कि 1971 से पहले पाकिस्तान से आए सभी भारतीय नागरिक हैं, लेकिन उनपर कुछ पार्टियों ने अत्याचार किया है और कुछ लोगों ने अत्याचार से तंग आकर आत्महत्या की है. ममता ने कहा कि राज्य सरकार पाकिस्तान से आए सभी लोगों को सभी नागिरक सुविधाएं देगी.
विधेयक हुआ पास
दरअसल, सोमवार को उत्तर बंगाल के छिंटमहल के निवासियों को भूमि पर अधिकार देने संबंधी विधानसभा में लाए गए ‘द वेस्ट बंगाल लैंड लाज (रिपिलिंग बिल) 2018’ पर बहस हुई और इसके बाद सीएम ममता ने पाकिस्तान से आए लोगों के लिए ये बात कही. व
हीं तर्क-वितर्क के बाद छिंटमहल के निवासियों को भूमि पर अधिकार देने संबंधी विधेयक विधानसभा में पारित हो गया. ममता ने कहा कि छिंटमहल के लोगों के हित में दोनों देशों के बीच हुए करार के बाद यह ऐतिहासिक विधेयक लाया गया. वहीं विधेयक पारित हो जाने के बाद अब छिंटमहल के निवासियों को भूमि के अधिकार, राशन कार्ड, वोटर कार्ड समेत बाकी सभी नागरिक अधिकार प्राप्त होंगे.
केंद्र पर राज्य का 426 करोड़ रुपये बकाया
छिंटमहल के लोगों के हित में जो दोनों देशों के बीच करार हुआ उसके तहत बांग्लादेश के छोर पर रहने वाले 922 लोग भारत आए थे. वहीं छिंटमहल के भारतीय सीमा में 17160 एकड़ भूमि पर 36 हजार 334 लोग थे. वहीं सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि छिंटमहल के पूरे क्षेत्र को पंचायत के दायरे में लाकर उन्हें हर तरह की नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी,
लेकिन इन सबके बीच ढांचागत सुविधाएं तैयार करने में काफी खर्चा आएगा. छिंटमहल को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए एक ब्रिज बनाने में ही 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे. वहीं दूसरी तरफ ढांचागत सुविधाएं विकसित करने और सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र पर राज्य का 426 करोड़ रुपये बकाया है और अब तक 579 करोड़ रुपये ही केंद्र की तरफ से मिले हैं.