जम्मू कश्मीर का सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. पहले जहां राज्य में सरकार बनाने के लिए पीडीपी, एनसी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने का दावा किया. वहीं बुधवार शाम को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा कदम उठाते हुए. विधान सभा भंग कर दी. इससे पहले पीडीपी ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था. वहीं राज्यपाल के इस फैसले की कई पार्टियों ने आलोचना की है.
विधानसभा भंग करने के कारण
वहीं दूसरी तरफ राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस फैसले के पीछे के कारण बताते हुए कहा कि उन्हें आशंका थी कि सरकार बनाने के लिए खरीद-फरोख्त हो सकती है. इसलिए उन्होंने ने ये फैसला लिया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि महबूबा मुफ्ती या सज्जाद लोन की तरफ से उन्हें कोई भी खत नहीं मिला. साथ ही राजभवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का फैसला लिया जिसमें व्यापक खरीद फरोख्त की आशंका और विरोधी राजनीति विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव जैसी बातें शामिल हैं.
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
महबूबा मुफ्ती की कोशिश पर फिरा पानी
वहीं राजभवन की तरफ से अपने एक और बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने ये फैसला अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया. साथ ही कहा गया कि राज्य के चुनाव अभी हों या ये चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ भी कराए जा सकते हैं. गौरतलब, है कि महबूबा मुफ्ती ने बुधवार शाम को पीडीपी के 29, एनसी के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल करने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी, लेकिन ऐसा हो ना सका जिसके बाद राज्यपाल के फैसले की आलोचना कई पार्टियां कर रही है.