जानिए नागा साधु के बारे में, जो कुंभ खत्म होते ही कहां चले जाते हैं किसी को पता नहीं
वह अर्धकुंभ, महाकुंभ में निर्वस्त्र रहकर हुंकार भरते हैं, शरीर पर भभूत लपेटते हैं, नाचते गाते हैं, डमरू ढपली बजाते हैं लेकिन कुंभ खत्म होते ही कहा गायब हो जाते हैं. आखिर क्या है नागाओं की रहस्यमयी दुनिया का सच?
ये साधु प्रायः कुम्भ में दिखायी देते हैं. नागा साधुओं को लेकर कुंभ के मेले में बड़ी जिज्ञासा और कौतुहल रहता है, खासकर विदेशी पर्यटकों में.
-
नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं. वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं.
-
कहा जाता है कि भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे.
-
आम बोलचाल की भाषा में भी अखाड़े उन जगहों को कहा जाता है जहां पहलवान कसरत के दांवपेंच सीखते हैं.
-
कालांतर में कई और अखाड़े अस्तित्व में आए. शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए जरूरत पडऩे पर शक्ति का प्रयोग करें. इस तरह बाह्य आक्रमणों के उस दौर में इन अखाड़ों ने एक सुरक्षा कवच का काम किया.
-
इतिहास में ऐसे कई गौरवपूर्ण युद्धों का वर्णन मिलता है जिनमें 40 हजार से ज्यादा नागा योद्धाओं ने हिस्सा लिया. अहमद शाह अब्दाली द्वारा मथुरा-वृन्दावन के बाद गोकुल पर आक्रमण के समय नागा साधुओं ने उसकी सेना का मुकाबला करके गोकुल की रक्षा की.
-
नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन तथा लम्बी होती है. नागा साधुओं के पंथ में शामिल होने की प्रक्रिया में लगभग छह साल लगते हैं.
-
नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती. अगर वस्त्र धारण करने हों, तो सिर्फ गेरुए रंग के वस्त्र ही नागा साधु पहन सकते हैं. वह भी सिर्फ एक वस्त्र, इससे अधिक गेरुए वस्त्र नागा साधु धारण नहीं कर सकते.
-
नागा साधु अखाड़े के आश्रम और मंदिरों में रहते हैं. कुछ तप के लिए हिमालय या ऊंचे पहाड़ों की गुफाओं में जीवन बिताते हैं. अखाड़े के आदेशानुसार यह पैदल भ्रमण भी करते हैं. इसी दौरान किसी गांव की मेर पर झोपड़ी बनाकर धुनी रमाते हैं.
-
विदेशी नागा साधु सनातन धर्म योग, ध्यान और समाधि के कारण हमेशा विदेशियों को आकर्षित करता रहा है. लेकिन अब बड़ी तेजी से विदेशी खासकर यूरोप की महिलाओं के बीच नागा साधु बनने का आकर्षण बढ़ता जा रहा है.