Movie Review: ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ ने खोले कई राजनीतिक राज़, तमाम दाव-पेच खेलने के बाद आज हुई रिलीज़

पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में बायोपिक का चलन तेजी से चल रहा है लेकिन ऐसा पहली बार है जब किसी पॉलीटिकल शख्सियत पर आधारित फिल्म सत्य घटनाओं और उन्हीं के नामों के साथ बनी है.

जी हां हम बात कर रहें हैं द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म की जो आज देशभर के सिनेमाघरों में तमाम दाव पेच खेलने के बाद आखिरकार रिलीज़ हो ही गयी. बता दें अभिनेता अनुपम खेर स्टारर फिल्म  ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर संजय बारू की किताब पर आधारित है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि फिल्म रिलीज़ होने से पहले ही कई राजनीतिक विवादों में फंस गई थी और फिल्म पर कई तरह की अलग-अलग याचिका दायर की गई थीं. हालाकिं कोर्ट ने फिल्म की रिलीज के खिलाफ दायर याचिका को रद्द कर दिया है.

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वहीं अगर बात करें फिल्म के रिव्यु की तो फिल्म को लेकर आ रही पहली पत्रकरों की प्रतिक्रिया बहुत ही सकरात्मक है. जहां फिल्म को लेकर दर्शकों में खूब उत्साह का माहौल है. वहीं लोगों को फिल्म में अनुपम खेर का रोल काफी पसंद आ रहा है. वहीं कुछ दर्शकों ने फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ देखने के बाद सोशल मीडिया के जरिए अपना रिव्यू और प्रतिक्रिया भी दी तो कुछ की नजर में अनुपम खेर की यह फिल्म बीजेपी का एजेंडा जैसी है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक यूजर का मानना है कि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ आने वाले लोक सभा चुनाव का ऑपिनियन पॉल है.

 

 

वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस राधिका गुप्ता फिल्म को अच्छा बताते हुए कहती हैं कि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ यूपीए और प्रधानमंत्री ऑफिस के पीछे की सच्चाई को दिखाती एक अच्छी फिल्म है.

 

कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी

दर्शकों के रिव्यु के अलावा अगर बात करें फिल्म कि कहानी की तो बता दें कि फिल्म की शुरूआत होती है सोनिया गांधी यानि सुजैन बर्नेट की अध्यक्षता में 2004 के चुनावों में कांग्रेस की जीत से. जहां एक तरफ सोनिया के सलाहकार उन्हें पीएम की कुर्सी संभालने के लिए कहते हैं वहीं दूसरी तरफ वे अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह के लिए पीएम की कुर्सी आगे कर देती हैं.

बिल्कुल वहीं से संजय बारू के नजरिए से हमें दिखाया जाता है कि दरवाजे के पीछे आखिर क्या हुआ. बता दें कि फिल्म के फर्स्ट हाफ में मनमोहन सिंह को संजय बारू के साथ कई चुनौतियां पार करते हुए दिखाया जाता है. जबकि इंटरवल के बाद जबरदस्त ट्विस्ट आता है जब संजय बारू बयान देते हैं कि कैसे पार्टी अध्यक्ष के लिए निष्ठा और वंशानुगत उत्तराधिकार की राजनीति मनमोहन सिंह को सिर्फ एक मजाक बनाकर रख देती है और वे सिर्फ एक आसान निशाना बन जाते हैं.

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परफॉरमेंस में खरे उतरे स्टार्स  

फिल्म में अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह की बॉडी लैंग्वैज से लेकर उनके हर अंदाज को घोलकर पी लिया है. उनकी चाल और धीमे से बात करने का अंदाज अनुपम खेर ने शानदार तरीके से निभाया है. वहीं एक नैरेटर के तौर पर अक्षय खन्ना टेलर्ड-सूट में काफी स्मार्ट लगे हैं. संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना सीन को एक अलग स्तर पर लेकर जाते हैं और पर्दे पर उनकी सशक्त उपस्थिति देखते ही बनती है. बाकी सारे किरदार अभिनेता कम और मिमिकरी आर्टिस्ट ज्यादा लगे हैं. कुल मिलाकर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ऐसी शुरुआत है जिसके साथ भारतीय राजनीति पर सही मायनों में फिल्म बनाने का सिलसिला शुरू हो सकता है.

 

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