क्या इन चुनौतियों से निपटकर दिल्ली में कांग्रेस की कायापलट कर पाएंगी शीला दीक्षित?
एक बार फिर से दिल्ली में कांग्रेस की कमान पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के हाथ में सौंप दी गई है. कांग्रेस ने दीक्षित को राजधानी दिल्ली कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है. हालांकि पार्टी ने दूसरे नेताओं को खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन कांग्रेस आलाकमान को समझ आ चुका है कि दिल्ली की लड़ाई शीला दीक्षित के बिना नहीं लड़ी जा सकती है. पिछले चुनावों में भले ही शीला दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन दिल्ली में सत्ता में रहते हुए उनके कामों ने उनको एक अलग ही पहचान दिलाई है.
खोए हुए वोट बैंक को साध पाएंगी दीक्षित?
शीला दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष का पद तो संभाल लिया है लेकिन उनके सामने इस बार चुनौतियां कम नहीं है क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस डांवाडोल हालत में खड़ी है. आम आदमी पार्टी ने उस तबके पर अपना राज कर लिया है जो कभी कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था. शीला दीक्षित की पहली बड़ी चुनौती यही है कैसे अपने वोट बैंक यानि निम्न मध्य वर्ग और मध्य वर्ग को साधना है.
दिल्ली में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं
दूसरी चुनौती है कि शीला दीक्षित उन हालातों में अध्यक्ष बनी है जब कांग्रेस के ज्यादातर विधायक छटक चुके हैं और अपना पासा बदल चुके हैं. फिलहाल, दिल्ली में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है.केंद्र और दिल्ली में सरकार न होने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह घट गया है. संगठनात्मक स्तर पर पार्टी को चुस्त-दुरुस्त किए जाने की जरूरत है.
जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत कर पाएंगी दीक्षित?
कांग्रेस, दिल्ली में जमीनी स्तर पर कमजोर हो चुकी है. शीला दीक्षित की बड़ी चुनौती ये भी रहेगी कि कांग्रेस को इन हालातों में दिल्ली की सरजमीं पर मजबूत कैसे किया जाए.
‘आप’ से गठबंधन?
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय राजनीति के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने पर विचार कर रही है लेकिन दिल्ली में कांग्रेस को अर्श से फर्श पर लाने वाली आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करेगी? हालांकि शीला दीक्षित, आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने के खिलाफ ही रही हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू में भी कहा था कि कांग्रेस को किसी के साथ की जरुरत नहीं है पार्टी अकेली ही काफी है. खैर, ये तो राजनीति है, यहां कुछ भी संभव है लेकिन मान लिया जाए कि कांग्रेस और आप, लोकसभा चुनावों के लिए साथ भी आ जाएं लेकिन विधानसभा में क्या दोनों अलग अलग मैदान में उतरेंगे?
दिल्ली में कांग्रेस का बिगड़ा इंफ्रास्ट्रचर सुधार पाएंगी दीक्षित?
शीला दीक्षित का दिल्ली की राजनीति में बेहद अच्छा प्रदर्शन रहा है, उन्हें एक अच्छी मैनेजर कहा जाता है और दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति को सुधारने का श्रेय भी शीला दीक्षित को ही जाता है. 1998 में शीला ने पहली बार कांग्रेस की दिल्ली में कमान संभाली थी, उससे पहले भी कांग्रेस को दिल्ली में बार बार हार का ही सामना करना पड़ा रहा था. शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में कायम रही. खैर, शीला दीक्षित ने अभी किसी रणनीति का खुलासा नहीं किया है लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि क्या शीला दीक्षित एक बार फिर दिल्ली में कांग्रेस की कायापलट कर पाएंगी?