नई दिल्ली : पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना एक्शन के मूड में नजर आ रही है। पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड गाजी राशिद को मौत के घाट उतारने के बाद खुफिया एजेंसियों को अब जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के ठिकाने के बारे में सूचना मिली है। सूत्रों के अनुसार, मसूद अजहर पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में दावत उड़ा रहा है। मसूद ने यहां के आर्मी अस्पताल को अड्डा बनाया हुआ है। इलाज का बहाना बनाकर मसूद अजहर पाकिस्तानी सेना की कड़ी सुरक्षा में बैठकर भारत को दहलाने की साजिशें रच रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी सरगना ने यहीं से पुलवामा हमले की साजिश रची और हमले का आदेश दिया। हमले से करीब आठ दिन पहले ही मसूद ने ऑडियो टेप जारी किया था। इसमें उसने कहा था कि इस लड़ाई में मौत से ज्यादा अच्छा कुछ नहीं है। कोई इन्हें दहशतगर्द कहेगा, कोई निकम्मा, कोई पागल तो कोई इन्हें अमन के लिए खतरा कहेगा। बता दें कि इस टेप की मदद से ही आतंकी ने गाजी राशिद को घाटी में युवाओं को भड़काने और हमले के लिए तैयार करने का फरमान जारी किया था।
आतंकियों को सुरक्षित करने में जुटी पाक सेना
घाटी में आतंकियों का सफाया करने की तैयारी में जुटी सेना का एक्शन मूड देखने के बाद पाक ने पीओके से आतंकियों को हटाना शुरू कर दिया है। घाटी में मौजूद जैश ए मोहम्मद के लगभग 60 से ज्यादा आतंकी लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं। साथ ही पाक सेना भी इन्हें बचाने की कोशिश में लगी हुई है।
डरपोक है दुनिया को दहलाने वाला आतंकी
सिक्किम पुलिस के पूर्व महानिदेशक अविनाश मोहनाने के अनुसार, पूरी दुनिया को आतंक से दहलाने वाला जैश सरगना दरअसल बहुत ही डरपोक है। मोहनाने ने बताया कि 1994 में गिरफ्तारी के वक्त सेना के जवान के एक थप्पड़ में ही उसकी अकड़ निकल गयी थी और सारे राज़ उगल दिये थे। अविनाश ने अनुसार, खुफिया एजेंसियों को उससे पूछताछ करने में ज्यादा मसक्कत नहीं करनी पड़ी थी। सेना के जवान के एक थप्पड़ से ही उसने सारे राज़ बता दिये थे। इस दौरान, उसने पाकिस्तान में आतंकवादियों की भर्ती प्रक्रिया और आतंकी गुटों की गतिविधियों की जानकारी दी थी। इसके अलावा उसने हरकत उल मुजाहिदीन (एचयूएम) और हरकत उल जेहाद ए इस्लामी (हुजी) के हरकत उल अंसार में विलय की भी जानकारी दी थी। पूर्व महानिदेशक ने बताया कि मसूद 1994 में भारत पहुँचने के बाद पहले सहारनपुर गया था और उसने पत्रकार बनकर कई देशों की यात्रा की थी।
बता दें कि उस वक्त मोहनाने ने ही उससे पूछताछ की थी। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी मोहनाने ने इंटेलीजेंस ब्यूरो में दो दशक के अपने कार्यकाल में अजहर से कई बार पूछताछ की थी। उन्होंने उस वक्त आईबी में कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया था। अविनाश मोहनाने के अनुसार, आतंकी हमेशा अपने छूट जाने का दावा करता था। आतंकी का कहना था कि पुलिस उसे ज्यादा दिन तक हिरासत में नहीं रख पाएगी क्योंकि वह पाकिस्तान और आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण है। फरवरी 1994 में गिरफ्तारी के 10 महीने बाद ही दिल्ली से कुछ विदेशी नागरिकों का अपहरण कर उसकी रिहाई की मांग की गयी लेकिन उमर शेख की गिरफ्तारी के कारण यह साजिश नाकाम हो गई। हालांकि 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों के अपहरण के बदले उसे रिहा कर दिया गया।