नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए सौंप दिया है. कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला को मध्यस्थता करने वाले पैनल का मुखिया नियुक्त किया है. इसके साथ ही मध्यस्थता के लिए दो अन्य सदस्य श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचु होंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि चार हफ्ते के अंदर मध्यस्थता पैनल को बताना होगा कि बात कहां तक पहुंची. आपको बता दें कि यह प्रक्रिया एक हफ्ते के अंदर शुरू हो जाएगी.
कोर्ट का कहना है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया कैमरे के सामने की जाएंगी. यह प्रक्रिया फैजाबाद में होगी जिसका नेतृत्व जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे. इसके लिए कोर्ट को आठ हफ्तों के अंदर पूरी रिपोर्ट देनी होगी. इसके साथ ही चार हफ्तों में यह प्रक्रिया शुरू करनी होगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ‘अदालत की निगरानी में मध्यस्थता कार्यवाही गोपनीय होगी.’
कोर्ट के इस फैसले का उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मध्यस्थता से आज इस मामले को कोई हल नहीं हो सका है. वहीं उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ‘अगर यह मामला आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है तो इससे अच्छी बात और कुछ नहीं हो सकती’.
निर्मोही अखाड़े से जुड़े लोगों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में मध्यस्थता का आदेश देने का स्वागत किया है. वहीं, महंत राजू दास का कहना है कि क्या अयोध्या में संत नहीं थे जो मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर को भेजा जा रहा है. साफ पता चल रहा है कि मामले को फिर से लटकाने की कोशिश हो रही है.