अयोध्या विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों का एक पैनल गठित किया है। हालांकि ओवैसी ने श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाया है। हालांकि कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को शामिल किए जाने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि श्री श्री रविशंकर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ बनाया है लेकिन उनका पहले का एक बयान सबके सामने है जिसमें वह कहते हैं कि अगर मुसलमान अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा
#MandirByMay2019 | AIMIM Chief Asaduddin Owaisi (@asadowaisi ) opposes Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) as mediator. pic.twitter.com/cJCZNLO5BR
— TIMES NOW (@TimesNow) March 8, 2019
ओवैसी ने आगे कहा कि बेहतर होता कि SC ने किसी न्यूट्रल व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया होता। उन्होंने कहा, ‘श्री श्री का 4 नवंबर 2018 का ऑन रिकॉर्ड स्टेटमेट हैं, जिसमें वह सीरिया बनने की मुसलमानों को धमकी दे रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाया है तो उन्हें न्यूट्रल रहना होगा।
AIMIM चीफ ने कहा कि मेरी पार्टी का स्टैंड यह है कि एक मध्यस्थ का विवादित बयान है तो उसे मध्यस्थ नहीं बनाया जाना चाहिए था लेकिन अब हम उम्मीद करते हैं कि श्री श्री अपने पुराने बयान को अपने दिमाग से निकाल देंगे। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि श्री श्री अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।’ इसके साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किसी सदस्य को मध्यस्थ नहीं बनाए जाने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है कि वह किसे मध्यस्थ नियुक्त करता है।
श्री श्री ने फैसले पर पहली प्रतिक्रिया दी है, कहा कि सदियों से जारी संघर्ष को समाप्त करना ही हम सबका लक्ष्य होना चाहिए। आपको बता दें कि श्री श्री के अलावा पैनल में जस्टिस एफएम कलीफुल्ला और श्रीराम पांचू शामिल हैं। श्री श्री रविशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना- इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।’
सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना – इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।#AyodhyaVerdict
— Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) March 8, 2019
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी रविशंकर ने कहा था कि हमें अपने अहंकार और मतभेदों को अलग रखकर इस विषय से संबंधित सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उस समय आध्यात्मिक गुरु ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता को प्राथमिकता देना देश के और इस विषय से संबंधित सभी दलों के हित में है। इस विवाद को मैत्रीपूर्ण रूप से सुलझाने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए।
वहीं, पैनल के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की तरफ से भी पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, ‘ SC ने मेरी अगुआई में एक मध्यस्थ समिति का गठन किया है। मुझे अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली है। मैं यहीं कह सकता हूं कि अगर समिति गठित की गई है तो हम इस मसले को मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझाने की हरसंभव कोशिश करेंगे।’