नई दिल्ली: पिछले सात दशक में दिल्ली में सिर्फ सात महिला सांसद चुनी गई हैं जबकि देश की राजधानी से 60 पुरुष प्रतिनिधि निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे हैं। देश को आजादी मिलने के बाद से करीब आधे से अधिक बार लोकसभा चुनाव में दिल्ली से कोई महिला प्रतिनिधि संसद नहीं पहुंची। देश के पहले लोकसभा चुनाव में दिल्ली से सुचेता कृपलानी चुनकर संसद पहुंची थीं। वह स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी की सहयोगी थीं।
कृपलानी नई दिल्ली सीट से किसान मजदूर प्रजा पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थीं। इस पार्टी के संस्थापक उनके पति आचार्य कृपलानी थे। सुचेता कृपलानी ने कांग्रेस उम्मीदवार और नेहरू गांधी परिवार की सदस्य मनमोहिनी सहगल को शिकस्त दी थी। सुचेता कृपलानी 1957 में कांग्रेस में आ गईं और दोबारा निर्वाचित हुईं। काफी समय बाद 1972 में फिर एक महिला सांसद दिल्ली से चुनी गइर्ं। वह सुभद्रा जोशी थीं जिन्होंने चांदनी चौक से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार राम गोपाल शालवाले को 45,000 मतों से पराजित किया। वह पंजाब से पहली महिला सांसद भी थीं।
देश में 1975-77 के दौरान आपातकाल लागू होने पर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के उन कदमों का विरोध किया जिसके तहत शहर के सौंदर्यीकरण को लेकर उनके संसदीय क्षेत्र में तोड़-फोड़ की गई थी। उन्होंने इससे पहले 1962 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था। जोशी के बाद दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से सुषमा स्वराज और करोलबाग से मीरा कुमार चुनी गईं। दोनों 1996 में और 1998 में निर्वाचित हुईं।
सुषमा स्वराज ने कांग्रेस के कपिल सिब्बल को 1.14 लाख मतों से और अजय माकन को 1.16 लाख मतों से हराया। मीरा कुमार ने 1996 में भाजपा के कालका दास को 41,000 मतों से और 1998 में भाजपा के सुरेंद्र पाल रठावल को 4,826 मतों से पराजित किया था। करोल बाग से 1999 में अनिता आर्य ने बतौर भाजपा उम्मीदवार मीरा कुमार को शिकस्त दी।
इसके बाद कांग्रेस की कृष्णा तीरथ 2004 में करोल बाग से और 2009 में उत्तर पश्चिम दिल्ली से सांसद बनीं। मोदी लहर में मीनाक्षी लेखी ने नई दिल्ली सीट से 2014 में जीत दर्ज की। उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आशीष खेतान को 1.6 लाख मतों से शिकस्त दी।