नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट पर अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक बूथ से बढ़ाकर पांच बूथों की VVPAT पर्चियों की औचक जांच का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह मतदाताओं के विश्वास और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए VVPAT पर्चियों की जांच वाले नमूने को बढ़ा रहा है.
21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम इस याचिका को टाल नहीं सकते क्योंकि 11 अप्रैल से मतदान शुरु होने हैं. दरअसल, एक वकील ने सुनवाई के दौरान इस याचिका को लंबित रखने की बात कही थी.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में 21 विपक्षी पार्टियों ने याचिका दाखिल की थी. यह याचिका चुनाव में EVM से VVPAT के 50 फीसदी मिलान को लेकर दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह मामला चुनाव प्रणाली में विश्वास का है. इसके लिए संसाधनों की समस्या क्यों होनी चाहिए. ये व्यवस्था देश भर के 479 ईवीएम पर आधारित नहीं होना चाहिए बल्कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में होनी चाहिए. आयोग के पास EVM के साथ VVPAT को गिनने और मिलान करने के लिए ज्यादा लोग होने चाहिए.
वहीं चुनावआयोग ने दलील दी कि ज्यादा गिनती का मतलब मानव त्रुटि हो सकती है. चुनाव आयोग द्वारा निष्कर्ष एक तार्किक प्रक्रिया और प्रतिक्रिया पर आधारित हैं. क्या याचिकाकर्ताओं द्वारा ऐसी कोई त्रुटि बताई गई है जिसके लिए कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत हो. या यह सारा मामला धारणा सुधारने के लिए है?
ऐसे में दलील सुनने के बाद धान न्यायाधीश ने कहा कि अगर 50 फीसदी EVM और VVPAT का मिलान होगा तो सभी विधानसभा क्षेत्र में औसतन 175 बूथ होंगे. चुनाव आयोग ने कहा अभी तक वोटर्स की गिनती में कोई कमी या खामी नहीं आई है. कोई भी उम्मीदवार पीठासीन अधिकारी से गिनती की मांग कर सकता है.
बता दें, वोटर वेरीफाइड ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीन EVM से जुड़ी हुई होती है. यानी कि जब मतदाता EVM पर बटन दबाता है तो VVPAT से एक पर्ची निकलती है. इस पर्ची पर जिस पार्टी को आपने वोट दिया होता है उसका चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार का नाम होता है.