नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा कि ससुराल में उत्पीड़न की शिकार महिला मायके से या वहां से भी मुकदमा दायर करा सकती है, जहां वह शरण लिए हुए है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने विभिन्न राज्यों से दायर छह याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह व्यवस्था दी।
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इनमें एक याचिका यूपी की रुपाली देवी की थी। कोर्ट ने कहा कि क्रूरता के कारण ससुराल से बाहर कर दी गयी महिला आरोपियों के खिलाफ उस स्थान पर भी मामला दर्ज करा सकती है, जहां वह शरण लेने के लिए मजबूर है। पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि महिला को उस इलाके में शिकायत दर्ज कराने की आवश्यकता नहीं है जहां उसकी ससुराल है। शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित महिला आईपीसी की धारा 498 ए के तहत अपने आश्रय स्थल या मायके में आपराधिक मुकदमा दर्ज करा सकती है।
अभी तक महिला को उसी जगह केस दर्ज कराना पड़ता था, जहां उसकी सुसराल है। कोर्ट इस मुद्दे पर एक संदर्भ पर विचार कर रहा था कि क्या धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न मामला उस जगह दर्ज किया जा सकता है, जो जांच और आरोपी को सजा का अधिकार क्षेत्र वाले जगह से अलग हो।