लखनऊ: चुनाव का पांचवा चरण कांग्रेस के लिए खास महत्व रखता है। सोनिया गांधी (रायबरेली)और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (अमेठी) की सीटों सहित 51 में से आधी सीटों पर कांग्रेस सीधे मुकाबले में है। यूपी की भी 14 में से आधा दर्जन सीटों पर वह अपने को रेस में गिन रही है। अमेठी की सीट कांग्रेस के लिए नाक का प्रश्न बन गई है। कांग्रेस को अमेठी में साफ-सुथरा चुनाव होने पर भी शक है। राहुल गांधी ने वोटिंग से तीन दिन पहले अमेठी के मतदाताओं को पारिवारिक रिश्तों की दुहाई देते हुए भावनात्मक पत्र लिखा है। अब देखना यह है कि इस पत्र का अमेठी के मतदाताओं पर कितना असर होता है।
राहुल की बहन प्रियंका ने अमेठी बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अभी तक कांग्रेस आास्त है कि बसपा नेता मायावती अमेठी में राहुल गांधी को नुकसान पहुंचाने वाली कोई हरकत नहीं करेंगी। राहुल के मुकाबले को मुश्किल मानने वाले नेताओं का कहना है कि दलित वोट अमेठी में निर्णायक हो सकता है। रायबरेली में सोनिया के लिए पांचवी बार पांच लाख पार का नारा खूब लगाया गया है। कहा यह भी जा रहा है कि संभवत: आखिरी चुनाव होने से सोनिया गांधी बड़ी जीत हासिल कर सकती हैं।
यूपी में चुनाव 14 सीटों पर हो रहा है लेकिन कांग्रेस बाराबंकी (तनुज पुनिया), धौरहरा (जितिन प्रसाद), फैजाबाद (निर्मल खत्री), बहराइच (सवित्री बाई फुले) में भी अच्छे नतीजे की उम्मीद कर रही है। शायद यही वजह है कि इन सीटों पर राहुल या प्रियंका में से कोई न कोई प्रचार के लिए अवश्य गया है। हालांकि 25% मुस्लिम वोटर वाले बाराबंकी में वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे तनूज पुनिया को त्रिकोणीय मुकाबला करना पड़ रहा है। सपा-बसपा गठबंधन ने उनके खिलाफ चार बार के सांसद राम सागर रावत और भाजपा ने विधायक उपेंद्र रावत को उतारा है। धौरहरा में जितिन प्रसाद भी इसी तरह से त्रिकोणीय मुकाबला कर रहे हैं। गठबंधन ने उनके खिलाफ अरशद इलियास सिद्दिकी और भाजपा ने मौजूदा सांसद रेखा वर्मा को उम्मीदवार बनाया है।
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शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश से लाकर चबंल के पूर्व दस्यु मलखान सिंह को उतारा है। वह वोट कटवा साबित होंगे इसमें भी संदेह है। फैजाबाद में निर्मल खत्री भी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं। गठबंधन ने उनके खिलाफ मित्रसेन यादव के बेटे आनंद सेन यादव और भाजपा ने मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को उम्मीदवार बनाया है। गांधी परिवार के करीबी निर्मल खत्री के लिए प्रियंका ने प्रचार किया है लेकिन मोदी की सभा के बाद से मुकाबला और अधिक मुश्किल हो गया है। बावजूद इसके कांग्रेस यही उम्मीद लगा रही है कि निर्मल खत्री को अच्छे व्यक्ति के नाते अधिक वोट मिलेगा।
बहराइच में जब भाजपा से आई सबित्री बाई फुले को उम्मीदवार बनाया गया था तो कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने उन्हें पसंद नहीं किया। प्रियंका ने वहां जाकर स्थिति को काफी सुधारा है। फुले पिछली बार भाजपा के टिकट पर जीती थीं लेकिन मुकाबला यहां भी त्रिकोणीय ही है। गठबंधन ने पिछले उम्मीदवार शब्बीर अहमद को और भाजपा ने अक्षयवर लाल गौंड को उम्मीदवार बनाया है।