बरेली से भारतीय जनता पार्टी विधायक राजेश मिश्र उर्फ़ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी और उसका कथित पति मीडिया की सनसनी बने हुए हैं। लगभग हर बड़ा चैनल उन्हें लाइव बिठाकर प्यार का पहरेदार और दो बालिगों के कानूनी अधिकार का चौकीदार बन चुका है। सोशल मीडिया पर इस मामले में जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है, एक बड़ा तबका साक्षी को सही मानने को तैयार नहीं है। उसके आरोपों की सच्चाई तो अभी तक साबित नहीं हो सकी है, लेकिन जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल उसने अपने पिता और भाई के लिए किया है। उसकी जमकर निंदा हो रही है, वहीं जैसे-जैसे यह प्रेमी युगल मीडिया में एक्सपोज़ हो रहा है वैसे-वैसे तमाम ऐसे सवाल गहरा रहे हैं जो हमको पूरे मामले को एक अलग नज़रिये से देखने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
सवाल आपके सामने रखूं उसके पहले एक बात जोड़ दूं, वो यह कि दो राय नहीं कि हमारा कानून दो बालिगों को अपनी मर्ज़ी से शादी करने की इजाज़त देता है। वहीं यह भी एक सच है कि हम पृथ्वी पर ऐसे अकेले समाज हैं, जहां मां -बाप अपनी बिटिया का कन्या दान करते हैं। बेटी के हाथ पीले करके इज़्ज़त से ससुराल विदा करना हमारे यहां किसी बाप की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारियों के शुमार है। जब किसी की बेटी घर से भागती है तो तत्काल कानून का हवाला दिया जाने लगता है, लेकिन बेटी को लेकर अपने अरमानों को कोई माता-पिता एक झटके में कानून के नाम पर कुर्बान कर दें, यह उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए। इसीलिए सोशल मीडिया पर देश भर से जो रिएक्शन आ रहे हैं उनमें, साक्षी के तौर तरीके को लेकर एक पिता के दर्द का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन, कानूनन साक्षी और उसका कथित पति अजितेश ही सही माने जाएंगे, जज़्बात, संस्कार और परंपरा वगैरह पर बात बेमानी है।
सवाल नंबर एक- अजितेश साक्षी को लेकर 3 जुलाई को फरार हुआ। उस दिन विधायक और उनकी पत्नी लखनऊ गए हुए थे ,ज़ाहिर है इस दिन का चुनाव सोच-समझकर किया गया। मम्मी-पापा शहर से बाहर जा रहे हैं, ज़ाहिर है यह खबर साक्षी ने ही दी होगी। न्यूज़ चैनल आजतक पर साक्षी ने अपने पिता से कहा था कि – आपने मम्मी से कहा था -शीनू यानि उसको समझा लो, वरना वो अभि यानी अजितेश के साथ भाग जाएगी। तो साक्षी ने इसी चैनल पर यह भी कहा था कि जब विक्की, यानी उनके बड़े भाई को अभि से उसके अफेयर के बारे में पता चला तो उसने व्हाट्सप पर मेसेज करके पूछा था कि क्या यह सच है। बकौल साक्षी, उसने स्वीकार किया और भाई से कहा था कि हम तीनों यानी विक्की, अजितेश और वह खुद इस बारे में बैठकर बात करेंगे। इस पर विवकी ने कोई ऐसा व्यवहार नहीं किया कि गुस्से में पागल होकर बहन का दुश्मन बन बैठा हो। साक्षी के मुताबिक ही विक्की ने शालीन तरीके से कहा था ठीक है बात करते हैं।
अब अगर घर वाले जान चुके थे अफेयर के बारे में और बेटी के दुश्मन बन बैठे थे, तो लखनऊ जाते वक़्त विधायक और उनकी पत्नीं बेटी को ताले में बंद करके जाते। असरदार लोग हैं, चार बंदूकधारी-दस लठैत ही पहरे पर बिठा के जाते। लेकिन नहीं, अजितेश तो सबकुछ प्लान के मुताबिक़ आसानी से कर सका। साक्षी आराम से बेरोकटोक घर से निकली। लड़के ने ना सिर्फ कार का इंतज़ाम कर रखा था बल्कि, मंज़िल भी तय कर रखी थी इलाहाबाद। बारह घंटे सफर करके वहां पहुंचे, अजितेश ने वकील भी तय कर रखे थे। वो भी एक नहीं तीन वकील जिन्हें मंदिर में शादी करवाने के लिए फीस दी गयी होगी यह भी तय है। जिस मंदिर में शादी का दावा किया जा रहा है वहां के मुख्य पुजारी भले कह रहे हैं कि उनके मंदिर के नाम से जारी सर्टिफिकेट फर्जी है, मगर शुरुआत में मीडिया के सामने आये पंडित ने स्वीकार किया था कि तीन-चार वकीलों के दबाव में उसने दोनों के फेरे करवाए थे। तो साफ है कि अजितेश ने साक्षी को घरवालों से बात करके मनाने की बजाय उसे घर से भागने की सलाह दी। कैसे क्या करना है यह सब वो लाइनअप करके बैठा था। अब इसमें उसके मददगार कौन-कौन लोग थे यह सामने आना बाकी है।
सवाल नंबर दो- कथित शादी के बाद गेस्ट हाउस वाला किस्सा। बकौल अजितेश वो सुबह गेस्ट हाउस के रिसेप्शन पर बैठा बाबा नाम के किसी कर्मचारी से बात कर रहा था। इस दौरान उसने बरेली के कारोबारी राजीव राणा के दो लोगों को आते देखा। जो लोग उसे रिसेप्शन पर बैठा देखकर नर्वस हो गए, और घबराहट में रिसेप्शन वाले से कहने लगे राजीव जी ने हमें भेजा है। राजीव कहां हैं। और फिर राजीव राणा को ही फोन करके कहा कि राजीव भाई आपका बताया पता मिल गया है। इसके बाद वो ऊपर रूम में गया, साक्षी सो रही थी उसको जगाया। जल्दी -जल्दी अपना सामान पैक किया और गेस्ट हाउस के मालिक ने दोनों को पिछले दरवाज़े से भगा दिया। कौन था ऐसा गेस्ट हाउस का मालिक, जो एक भागे हुए प्रेमी जोड़े को अपने यहां से अवैध तरीके से भगा कर धंधा चौपट करना चाहता था। उसे इतना भी डर नहीं था कि इन दोनों के खिलाफ कोई पुलिस केस हुआ तो जीना हराम हो जाएगा। बिना प्रॉपर चेक आउट करवाए वो पूरे प्लान में शामिल हो गया। क्या रुकने का ठिकाना भी अजितेश ने अपने वकीलों या अन्य मददगारों के सहारे तय किया था। और फिर राजीव राणा के वो दो कथित गुंडे या बदमाश। अरे जब बदमाशों को अपना टारगेट दिख गया तो वो उसको पकड़ेंगे पहले, गेट हाउस वाले को धमकाएंगे- तो पुलिस को बुलाएंगे , वो मतलब बस अजितेश को देखकर नर्वस हो गए और उसे साक्षी के साथ आराम में भागते हुए देखते रहे। तो भाई, अगर इतने डरपोक और शरीफ बदमाश भेजे थे विधायक ने जो धमका तक नहीं सके, उनको लेकर इतना खौफ पैदा हो गया कि जान बचाने के लिए दो-दो वीडियो सोशल मीडिया पर जारी कर दिए। राजीव राणा तो कह ही रहे हैं कि उनकी सीसीटीवी फुटेज साबित कर देगी कि लगातार बरेली में हैं। झूठ भी बोल रहे हैं तो उन दो शरीफजादों का नाम भी अजितेश नहीं बता पा रहा है जो ऐसे बदमाश थे कि उनके भागने के बाद गेस्ट हाउस वाले तक की गरदन नहीं पकड़ सके। और घर लौट गए। बस धमकी और जान के खतरे के नाम पर दोनों के पास कुल जमा यही कहानी है, तबसे ना किसी ने पीछा किया है ना किसी ने धमकाया है।
सवाल नंबर तीन- अजितेश का कहना है कि दलित होने की वजह से साक्षी के साथ उसका रिश्ता विधायक के परिवार को क़ुबूल नहीं है। दलित एंगल इस पूरी लव स्टोरी का सबसे बड़ा मसाला है। मीडिया में हाइप ही इसलिए मिली है कि लड़की पिता भाजपा के विधायक हैं, ब्राह्मण हैं और उनकी लड़की को भगाने वाला दलित परिवार से है। विधायक जी के बेटे विक्की से उसकी बचपन की दोस्ती है। विक्की के घर में उसकी किचन तक एंट्री थी। विक्की से अपनी गहरी दोस्ती का ज़िक्र अजितेश खुद कर रहा है। बचपन से लेकर आज तक, उसकी उम्र 29 साल बताई गयी है, ऐसा एक भी उदाहरण नहीं दे सका है कि दलित होने के नाते विधायक के घर में उसके साथ दोयम दर्जे का सुलूक हुआ। पप्पू भरतौल ने खुद कहा है कि वो बच्चे हमारे यहाँ खाता-पीता था। और अगर घर में इतने अंदर तक घुसपैठ की इजाज़त ना होती तो, साक्षी से इस लेवल की दोस्ती परवान भी नहीं चढ़ सकती थी। रही बात विक्की की तो अगर उसको दो महीने पहले दोनों के रिश्ते के बारे में पता चल चुका था तो, अजितेश एक ऐसा उदाहरण नहीं दे सका है कि विक्की ने उसको धमकाया या अपना व्यवहार बदल लिया। वो तो, उलटा अपनी बहन के नाम पर रोता दिख रहा है। तो सवाल यह कि अपने सबसे करीबी दोस्त से उसकी बहन का हाथ माँगने को लेकर उसने क्या कोशिश की। वो तो बचपन का दोस्त था, अलबत्ता तो हमारे समाज में दोस्त की बहन, अपनी बहन जैसे उसूल युवाओं के बीच में दिखते हैं, लेकिन चलिए मान लिया कि आप अपने सबसे करीबी यार की बहन के प्यार में पागल हो गए थे तो उसको क्यों धोखा दिया, वो तो आपके ऊपर भरोसा कर रहा था। दोस्त की बहन को भगाने से पहले दोस्त से क्यों नहीं बात की। उसके मन में तो दलित-ब्राह्मण जैसी बात शायद नहीं रही होगी।
चौथा सवाल- अजितेश ने न्यूज़ चैनल आजतक पर बैठकर अपनी कहानी तो खूब सुनाई, लेकिन यह क्यों नहीं बताया अपनी तरफ से कि तीन साल पहले वो भोपाल में एक लड़की से शादी की मंगनी करके रिश्ता तोड़ चुका है। मज़े की बात बेटे-बहू के सामने बेहद इमोशनल अंदाज में नमूदार हुए उसके पिता हरीश कुमार ने भी अंजना ओम कश्यप को नहीं बताया कि वो एक दफा अपने बेटे की शादी तय करके तोड़ चुके हैं। और यह शादी उन्होंने कोई जबरदस्ती तय नहीं की थी, लड़की भी उनके होनहार बेटे अजितेश की पसंद थी। बात का खुलासा तो तब हुआ जब विधायक पप्पू भरतौल को चैनल वालों ने फोन लाइन पर लिया। उन्होंने बताया यह सच। अब अजितेश कह रहा है कि वो शादी इसलिए तोड़ दी कि मेरी मां का निधन हो गया था। अक्टूबर में मां नहीं रहीं और दिसंबर में शादी होनी थी। ठीक, माना जा सकता है कि मां की मौत ने दुखी कर दिया होगा। लेकिन, हरीश और उनका बेटा यह बताएं कि क्या लड़की वाले घड़ी में शादी को दो-चार महीने आगे खिसकाने के लिए तैयार नहीं थे ? अजितेश ने ही उस लड़की को जिसको शादी की अंगूठी पहना कर वो आया था उसको शादी की डेट आगे बढ़ाने के लिए कन्विंस करने की कोशिश की क्या ? या मां की डेथ के बाद वो लड़की और उसके परिवार में ही खोट पैदा हो गया। अगर मां के वियोग में अविवाहित रहने का ही फैसला कर लिया था तो साक्षी को लेकर ऐसी दीवानगी कैसे पैदा हो गयी। आरोप यही है कि अजितेश और उसके पिता ने दहेज़ के लिए रिश्ता तोड़ा। और रिश्ता तोड़ने का कोई जस्टिफाइड रीज़न अभी तक लड़का नहीं दे पाया है, सिवाय इसके कि साक्षी को सब पता है। यहां एक बात और जोड़ दूं, कि कैमरे पर रोते-बिलखते टीवी स्टूडियो पहुंचे हरीश कुमार का यह कहना कि उन्हें अपने बेटे की प्रेम कहानी के बारे में कुछ नहीं पता था, अगर सच मान भी लिया जाए, तब भी सवाल उठता है अजितेश किस किस्म का इंसान है। अरे अपने दोस्त विक्की को कुछ नहीं बताय उसकी बहन भगाने के पहले तो कम से कम, मां के जाने के बाद अकेले बचे अपने पिता का तो आशीर्वाद ले लिया होता। उन्हीं के ज़रिये एक कोशिश करवाई होती। बाकी देखते क्या रिसपॉन्स मिलता। क्योंकि हरीश टीवी पर कह ही रहे हैं कि वो पढ़े -लिखे हैं और पप्पू भरतौल ना के बराबर पढ़े हैं। तो समझदारी दिखाना तो हरीश जी और उनके बेटे का ही बनता था।
आखिर में पांचवा और आखिरी सवाल साक्षी के आरोप पर। इस पूरे मामले में हमें सबसे इंटरेस्टिंग बयान यह लगा।
“मुझे शुरुआत से ही बहोत शौख था कि मैं अपनी शादी में प्रीवेडिंग शूट और वेडिंग शूट कराऊंगी लेकिन मुझे पढ़ना भी था और मैने कहा था कि अगर मेरे घर वाले मुझे मास्टर्स के लिए भेज देंगे तो मैं मास्टर्स करने चली जाऊंगी और हमारे बीच में जो कुछ भी है हम सब कुछ खत्म कर देंगे और इनके घर वाले इनके लिए लड़की देख रहे थे मैने कहा आप अपने घर वालों की मर्जी से शादी कर लेना और मै मास्टर्स के लिए चली जाऊंगी और फिर दो साल बाद मेरी भी शादी कर देंगे मेरे घर वाले उसमें मुझे कोई प्राब्लम नही है लेकिन मेरे घर वालों नें ना मुझे मास्टर्स के लिए भेजा और फिर अपनी मर्जी से जहां भी वो मेरी शादी करते और मैं 100 प्रतिशत स्योर हूं कि वो अपने जैसे से मेरी शादी कर देते और मैं घुट-घुट कर नहीं जीना चाहती थी।”
कैसा रिश्ता था भाई यह- मतलब, दोनों का लैला-मजनूं वाला प्यार मास्टर्स की डिग्री में एडमिशन पर टिका था। इसके बाद किसी की किसी से शादी हो जाए कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। मुद्दा डिग्री थी या एक दूसरे के साथ जीने-मरने की कसम। साक्षी का कहना है कि उसने अपने घर में बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ का क़त्ल होते देखा। अरे, अगर इतने पिछड़ी सोच के क्रूर मां बाप थे तो ऐसे ही तुम्हारी मर्ज़ी का सम्मान करते हुए मॉस कम्युनिकेशन की डिग्री लेने अकेले जयपुर भेज दिया, जहां तीन साल तुमने अकेले रहकर पढ़ाई की।उन्हें तो कायदे से घर बैठाकर कॉरस्पॉन्डेंस से पढ़ाई करवानी चाहिए थी, बेटियों को। विक्की जिसपर जान से मरवाने का आरोप साक्षी ने लगाया है उसने रक्षा बंधन पर महंगा स्मार्टफोन इसलिए गिफ्ट किया ताकि हॉस्टल में बंदिश के चलते बहन को बात करने में दिक्कत ना आये। साक्षी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में खुद यह लिखा है। बताया जा रहा है कि विकी जब अपनी बहन से मिलने जयपुर जाता था तो साथ के लिए दोस्त अजितेश को भी ले जाता था। उसके दिमाग में यह रहा होगा कि अजितेश दलित है और ना ही यह कि अजितेश के दिमाग में क्या चल रहा है। दिल्ली में इंडिया टुडे के इंस्टीट्यूट में मॉस कौम में मास्टर्स के लिए उसने टेस्ट क्लियर कर लिया था। पिछड़ी सोच वाले और बेटियों को बंदिश में रखने वाले मां –बाप की मर्ज़ी के बिना तो दिल्ली की राह साक्षी ने नहीं तय कर ली होगी। अब अगर साक्षी की बात सही मान लें तो अगर उन्होंने एडमिशन दिलवाने में इंटरेस्ट नहीं दिखाया तो इसका रास्ता यही था कि भागकर शादी कर लो। क्योंकि साक्षी ने ही कहा है कि अगर एडमिशन मिल जाता तो वो शादी का इरादा टाल देती। इसपर दोनों में अंडरस्टैंडिंग थी। क्या यह सही नहीं होता कि दोनों ने पहले घरवालों की रज़ामंदी लेने के लिए संघर्ष किया होता। तब अगर साक्षी बांधकर घर में कैद कर दी जाती तब आखिरी फैसला लेना इस प्यार को कुछ जस्टिफाई करता। और, अजितेश। क्या किसी की बेटी से सच्चा प्यार करने वाला उसके घरवालों की इज़्ज़त इस तरह उछलने देगा। उससे वीडियो बनवाकर वायरल करेगा। अगर, गुस्से में लड़की ऐसा कर भी रही है तो मर्द की तरह उसे रोकेगा नहीं। क्योंकि ज़िक्र उसके उस दोस्त विकी का भी है जिसने उसको लेकर कोई फर्क नहीं किया, उसपर हमेशा भरोसा किया।
शायद, देश भर में चर्चा का विषय बने इस प्रेम प्रसंग के किरदारों की आलोचना भी यूं ही नहीं हो रही है। बाकी क़ानून तो दोनों के साथ है ही, अब दुआ यही की जानी चाहिए कि दोनों का साथ भी बना रहे।