पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने बिना अयोध्या का विवाद जिक्र करते हुए कहा, हाल ही में कुछ ऐसे बड़े फैसले आए जिनका पूरी दुनिया में जिक्र था। फैसले से पहले कई तरह की आशंकाएं व्यक्त की गई थी, लेकिन 130 करोड़ भारतवासियों ने न्यायपालिका द्वारा किए गए इन फैसलों को पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया।
PM Modi: Recently, there have been some important judicial judgements which were subject of global discussions. Before these judgements, several concerns were being expressed about consequences, but 1.3 billion Indians accepted these judicial verdicts wholeheartedly https://t.co/F2jDcAm47O pic.twitter.com/myNI6geefo
— ANI (@ANI) February 22, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कॉन्फ्रेंस 21वीं सदी के तीसरे दशक के शुरुआत में हो रही है. ये दशक भारत सहित पूरी दुनिया में होने वाले बड़े बदलावों का है. ये बदलाव सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी हर क्षेत्र में होंगे. ये बदलाव तर्क संगत और न्याय संगत होने चाहिए. ये बदलाव सभी के हित में होने चाहिए.
ये भी पढ़ें- मेलानिया ट्रंप के साथ नहीं दिखेंगी अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया
पीएम ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तंम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है. हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है. बीते 5 वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है. पीएम ने कहा कि भारत में रुल ऑफ लॉ सामाजिक संस्कारों का आधार है.
ये भी पढ़ें- चौथे दिन भी शाहीन बाग पहुंची वार्ताकार साधना रामचंद्रन, नहीं निकला हल
पीएम ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तंम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है. हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है. बीते 5 वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने, इस परंपरा को और सशक्त किया है. पीएम ने कहा कि भारत में रुल ऑफ लॉ सामाजिक संस्कारों का आधार है.
ये भी पढ़ें- उद्धव ठाकरे ने दिया कांग्रेस और NCP को झटका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि इस कॉन्फ्रेंस में ‘Gender Just World’ के विषय को भी रखा गया है. पीएम ने कहा कि दुनिया का कोई भी देश, कोई भी समाज लैंगिक न्याय (Gender justice) के बिना पूर्ण विकास नहीं कर सकता और ना ही न्यायप्रियता का दावा कर सकता है.
वीडियो देखें- छिन सकती है राहुल-सोनिया की नागरिकता, फाइल शाह के टेबल पर
पीएम ने कहा कि वे भारत की न्यायपालिका का भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं, जिसने विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन की गंभीरता को समझा है, उसमें निरंतर मार्गदर्शन किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि डाटा सुरक्षा, साइबर क्राइम न्यायपालिका के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इनसे निपटने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि लोगों को शीघ्र न्याय देने में तकनीक एक हद तक रोल अदा कर सकता है।
पीएम ने कहा कि सरकार का भी प्रयास है कि देश के हर कोर्ट को e-court Integrated Mission Mode Project से जोड़ा जाए। National Judicial Data Grid की स्थापना से भी कोर्ट की प्रक्रियाएं आसान बनेंगी।