लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सख्त कदम उठाया है। सर्दी-जुखाम से पीड़ित कोई भी व्यक्ति किसी भी निजी अस्पताल या नर्सिंग होम में अपना इलाज नहीं करा सकेगा। इसके पीछे की असल वजह है कि कोरोना से पीड़ित व्यक्ति को खांसी-जुखाम बुखार जैसे सामान्य लक्षण होते हैं और इसकी आड़ लेकर वह किसी भी अस्पताल में चोरी छिपे इलाज करा लेते हैं। इसकी वजह से ये संक्रमण आगे और फैलने का डर रहता है। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। यूपी में स्वास्थय विभाग ने कड़ा फैसला लेते हुये निर्देश जारी किये हैं कि खांसी-जुखाम वाले मरीजों को नर्सिंग होम या निजी अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाएगा। इसके अलावा विभाग ने कहा कि ऐसा कोई मरीज आता है तो अस्पताल को पहले सीएमओ कंट्रोल रूम को सूचना देनी होगी।
सीएमओ कंट्रोल रूम को देनी होगी सूचना
ऐसा न करने पर अस्पताल या नर्सिंग होम का लाइसेंस रद कर दिया जाएगा। राजधानी लखनऊ के कोरोना हॉट-स्पॉट इलाकों के दो मरीजों के एक निजी अस्पताल में इलाज कराने की बात सामने आयी थी। इसके बाद लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) नरेंद्र अग्रवाल ने सभी प्राइवेट चिकित्सालयों से ऐसे मरीजों जिनमें कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हों और खांसी-जुकाम व बुखार के सभी मरीजों की जानकारी कोरोना कंट्रोल रूम को देने के निर्देश दिये हैं।
साथ ही CMO ने निर्देश देते हुये यह भी कहा कि हॉट -स्पॉट वाले क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को कोई भी निजी अस्पताल न तो भर्ती करें और न ही उनका इलाज करें। ऐसे मरीजों के संबंध में सीधे स्वास्थ्य विभाग या CMO कंट्रोल रूम को सूचित करे, जिससे कि उन्हे तुरंत ही आइसोलेट करवा कर कोविड-1 हॉस्पिटल में भर्ती कर जांच के लिए उनका सैंपल भेजा जाये और सही इलाज किया जा सकें। इसके साथ ही सभी प्राइवेट हॉस्पिटल अपने चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए PPE किट व अन्य सुरक्षा उपायों का पालन करें ।