राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना संकट काल में लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं। एक ऐसा ही मार्मिक वीडियो उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का है, जो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। जिस किसी ने ये वीडियो देखा, उसकी आंखों में आंसू आ गए। क्रूर हालात की ये तस्वीर देखकर सभी की दिल पसीज गया। इस वीडियो में एक पिता अपने बीमार बेटे को चारपाई पर लिटाकर कंधों पर लादकर ले जाता दिखाई दे रहा है।
👉This video is of UP's Kanpur. The man is from MP. He walked 900 KMs from Punjab carrying injured son on shoulders
👉Governments have failed miserably. Ministers/Babus need to be held accountable. Those being sugar-coated about it are being dishonest 👇pic.twitter.com/pJZMKeSVcv
— Saahil Murli Menghani (@saahilmenghani) May 15, 2020
बीमार बेटा चारपाई पर लेटा हुआ है, मुंह पर मास्क लगा है। चारपाई के चारों पांवों को रस्सी से बांधकर कंधों पर टांगकर ले जाता नजर आ रहा ये परिवार लुधियाना से पैदल चलकर आ रहा है। शुक्रवार शाम को जब कानपुर के रामादेवी हाईवे पर इस परिवार को ऐसे जाते हुए थाना प्रभारी रामकुमार गुप्ता देखा, तो उन्हें रोका और बातचीत करने लगे। तो पिता की आंखों से आंसू बहने लग गए। असहाय पिता बोला- लॉकडाउन में हमसे सबकुछ छीन लिया है। इसके बाद उनके लिए वाहन की व्यवस्था कराई गई और उन्हें घर भेजा गया।
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बेटे की गर्दन पर है चोट
मध्य प्रदेश के सिंगरौली गांव के रहने वाले राजकुमार लुधियाना में मजदूरी करते थे। वहीं पूरा परिवार रहता था। चारपाई पर लेटा उनका 15 वर्षीय बेटा बृजेश बीमार था। गर्दन में चोट लगी होने के कारण वो पैदल नहीं चल सकता था। लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी पर आन पड़ी, तो इस परिवार से लुधियाना से निकलने की ठान ली। वाहन नहीं मिला, तो पिता अपने बेटे को चारपाई पर लिटाकर रस्सी से बांधकर उसे कंधों पर लादकर पैदल निकल पड़े। इस परिवार को मिलाकर गांव के 18 लोग और भी साथ पैदल चल रहे थे। सब बारी-बारी चारपाई को कंधे पर उठाकर बीमार बेटे को पैदल लेकर घर जा रहे थे।
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उन्होंने रास्ते में करीब 50 किमी. का सफर वाहन से तय किया। लेकिन कोरोना के डर से ज्यादातर वाहन चालक बेटे को चारपाई पर लेटा देख, अपने साथ ले जाने के लिए तैयार नहीं हुए। तो आगे का रास्ता उन्होंने पैदल ही तय करना की ठान ली।रामादेवी हाईवे पर थाना प्रभारी रामकुमार ने उन्हें जब देखा, तो उनके लिए खाने की व्यवस्था की और उन्हें वाहन से घर भेजा।