लखनऊ: बलिया गोलीकांड (Ballia Firing) में बयानबाजी को लेकर बेशक भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) विधायक सुरेंद्र सिंह (MLA Surendra Singh) को पार्टी आलाकान से फटकार लग चुकी है, लेकिन माननीय का आरोपियों के प्रति प्रेम है कि कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यही वजह है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह (Swatantra Dev Singh) की ओर से नोटिस मिलने के बाद भी बीजेपी विधायक के तेवर जारी हैं। इसबार बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि विपत्ति काल में अपने भाई और कार्यकर्ताओं को छोड़ना महापाप होता है।
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कार्यकर्ताओं को छोड़ना महापाप: सुरेंद्र
बीजेपी विधायक विधायक सुरेंद्र सिंह इस बार बगैर नाम लिए गोलीकांड के मुख्य आरोपियों की वकालत की है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखा है कि विपत्ति काल में अपने भाई और कार्यकर्ताओं को छोड़ना महापाप होता है। इसलिए हमने अपने धर्म का निर्वहन किया है और करता रहूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कठिनाई का सामना करना पड़े, वो मुझे सहर्ष स्वीकार होगा।
विपत्ति काल मे अपने सहयोगी, संबंधी,भाई और कार्यकर्ताओं को छोड़ना महा पाप होता है ।इसलिए हमने अपने धर्म का निर्वहन किया है…
Posted by Surendra Nath Singh Mla on Tuesday, October 20, 2020
बीजेपी अध्यक्ष ने दी थी नसीहत
बता दें कि 19 अक्टूबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) ने यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से इस मुद्दे पर फोन पर बात की। नड्डा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि बलिया गोलीकांड की पूरी जांच से विधायक सुरेंद्र सिंह दूर रहें। बीजेपी सूत्रों ने बताया कि जेपी नड्डा ने यूपी अध्यक्ष से कहा कि अगर विधायक सुरेंद्र सिंह ने जांच में किसी भी तरह का दखल दिया तो पार्टी सख्त कार्रवाई कर सकती है। पार्टी अलाकमान की नाराजगी के बाद स्वतंत्र देव सिंह ने सुरेंद्र सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
आरोपी का बचाव कर रहे थे बीजेपी विधायक
गोलीकांड का मुख्य आरोपी धीरेंद्र सिंह बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह (BJP MLA Surendra Singh) का नजदीकी है। घटना के बाद से ही विधायक लगातार आरोपी के बचाव में बयान दे रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने रोते हुए कहा था कि इंसाफ की लड़ाई में हम अकेले हैं। विधायक ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के अधिकारी हम लोगों की बात का भरोसा नहीं कर रहे हैं। जिस तरह पहले पक्ष की प्राथमिकी दर्ज की गई, वैसे ही दूसरे पक्ष की भी प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। प्रशासन ने अगर ऐसा नहीं किया तो मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा, सत्याग्रह करूंगा और जीवन का अंत कर दूंगा।