वाराणसी: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी के मुगलसराय में दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया. इस स्टेशन को पहले मुगलसराय जंक्शन के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसका नाम बदल दिया गया है. इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे.
BJP president #AmitShah inaugurates new Deen Dayal Upadhyaya railway station, which was earlier known as #Mughalsarai. Union Minister Piyush Goyal & UP CM Yogi Adityanath, also present. pic.twitter.com/nrEaylgilP
— ANI UP (@ANINewsUP) August 5, 2018
बता दें कि मुगलसराय चंदौली जिले का हिस्सा है. जिस स्टेशन का नाम बदला गया है, उसे गद्दर(पाकिस्तान) के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्टेशन माना जाता है जोकि 1862 में ब्रिटिश शासन में बना था. यह स्टेशन ग्रांड ट्रक रोड पर स्थित है जिसे मुगल बादशाह शेरशाह सूरी ने बनवाया था. यह मुगल शासन में सबसे व्यस्त कोरिडोर था और पूर्वी भारत को उत्तर भारत से जोड़ता था.
इसलिए बदला गया मुगलसराय जंक्शन का नाम
मुगलसराय जंक्शन का नाम आरएसएस के विचारक दीन दयाल उपाध्याय रखने के पीछे बहुत महत्वपूर्ण कारण है. दरअसल फरवरी 1968 में मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास उपाध्याय की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से संघ उनके नाम पर इस स्टेशन का नाम रखने की मांग कर रहा था.
कैसे बना मुगलसराय स्टेशन-
ब्रिटिश शासनकाल में कोलकाता से नई दिल्ली माल ढुलाई के लिए 1862 में हावड़ा से दिल्ली जाने के लिए रेलवे लाइन का विस्तार किया. वहीं 1880 में मुगलसराय रेलवे स्टेशन भवन का निर्माण किया गया. इसके बाद मुगलसराय स्टेशन का नाम प्रचलन में आ गया.
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इसके अलावा 1905 में स्टेशन भवन में सुधार किया गया. मुगलसराय रेलवे स्टेशन भवन के भव्यता के लिए पंडित कमालपति त्रिपाठी ने पहल करते हुए भवन का सुंदरीकरण कराया. स्टेशन भवन निर्माण के लिए 1976 में पंडित कमलापति त्रिपाठी उद्घाटन किया.
इस क्रम में स्टेशन भवन का 1982 में निर्माण कार्य पूरा हुआ. वही 1978 में मुगलसराय स्टेशन पूर्व रेलवे का मंडलीय मुख्यालय बना. मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम एशिया में यार्ड से मशहूर है. एकलौता एशिया का यार्ड साढ़े 12 किमी में फैला है. यार्ड में 250 किमी रेलवे लाइन का संजाल बना है.
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यार्ड में 10 ब्लाक केबिन व 11 यार्ड केबिन है. वहीं 19वीं शताब्दी में विद्युत लोको शेड की स्थापना की गई. इसमें हावड़ा से दिल्ली तक गया होते हुए ट्रेनों का संचालन होता है. विद्युत लोको शेड में करीब 137 रेल इंजन का मरम्मत कार्य करने की क्षमता है. इसके अलावा डीजल लोको शेड की स्थापना 1962 में उत्तर रेलवे के सौजन्य से किया गया.